रफ्तार और रोमांच हमेशा से लोगों को आकर्षित करते रहे हैं। यही कारण है कि इससे संबंधित क्षेत्रों में कॅरियर बनाने की चाह हर युवा के दिल में रहती है। अगर आप रोमांच और रफ्तार की पराकाष्ठा को छूना चाहते हैं, हवा की रफ्तार से दुश्मनों पर प्रहार कर उसे नेस्तनाबूत करना चाहते हैं और देश की सेवा करने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए कटिबद्ध हैं, तो भारतीय सेना के प्रमुख और महत्वपूर्ण अंग वायुसेना आपके लिए परफेक्ट जंक्शन है। भारतीय वायुसेना के सम्मान में हर वर्ष अक्टूबर माह की 8 तारीख को वायुसेना दिवस मनाया जाता है। इस दिन वायुसेना अपने हैरतअंगेज कारनामे दिखाकर लोगों को अपनी शक्ति और क्षमता का अहसास तो कराती ही है, साथ ही देशभक्ति का जज्बा भी लोगों के जेहन में कूट-कूट कर भरती है। यदि आपको ये सभी बातें आंदोलित व रोमांचित कर रही हैं , तो आप इंडियन एयरफोर्स से जुडकर अपने सपने को पंख लगा सकते हैं।
क्यों अहम है वायुसेना
बेहतर कोऑर्डिनेशन आधुनिक युद्धों को जीतने का सबसे अहम मंत्र है, जिसमें आर्मी व एयरफोर्स परस्पर सामंजस्य के साथ मोर्चे से दुश्मन के पैर उखाडती हैं। पर जब बात विशुाद्ध सैन्य रणनीति की हो रही हो तो यहां एयरफोर्स का रोल कहीं महत्वपूर्ण हो जाता है। दरअसल मॉडर्न वॉरफेयर में एयरफोर्स की भूमिक ा हरावल दस्ते की होती है, जो लडाई में सबसे आगे रहते हुए दुर्गम, कठिन परिस्थितियों व कई बार सरहद पार कर दुश्मन के चुने हुए इलाकों पर कहर बरपाते हैं। तकनीकी भाषा में इन हमलों को सर्जिकल अटैक कहते हैं। जहां दुश्मन को संभलने का मौका दिए बगैर पिक एंड किल का सिद्धांत इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों मनाते हैं वायुसेना दिवस
ज्यादातर देशों में सेनाओं के गौरव, उनके येागदान को याद करने के लिए सेना, नौसेना, वायुसेना दिवस आदि मनाए जाते हैं। भारत में भी हर साल 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस मनाया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान 8 अक्टूबर 1932 को इंडियन एयर फोर्सएक्ट के जरिए भारतीय वायुसेना की आधारशिला रखी गई थी। दरअसल इस समय देश में वायुसेना के गठन का मकसद देश में ब्रिटिश औपनिवेशिक हितों की रक्षा करना था। मात्र 6 ऑफीसर, 19 एयरमैन व 4 वेस्टलैंड वेपिटी एयरक्राफ्ट्स के साथ भारतीय वायुसेना की शुारूआत हुई व कराची इसका केंद्र बना। इन सबके इतर आज भारतीय वायुसेना की गिनती दुनिया की चौथी सबसे बडी एयरफोर्स में होती है। पौने दो लाख वायुसैनिकों , 5 ऑपरेशनल, 2 फंक्शनल कमांड व करीब 1400 एयरक्राफ्ट्स के साथ इन दिनों आइएएफ वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अपनी भूमिका तलाश रही है।
भारतीय वायुसेना-
ताकत बढाता कमांड ढांचा
भारतीय वाुयसेना के सामने आज कई चुनौतियां हैं। इन्हीं सब चुनौतियों को बेहतर ढंग से हल करने के लिए इसके कमांड ढांचे की प्रभावी भूमिका है। इसका गठन कुछ इस प्रकार किया गया कि विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी आइएएफका रिस्पांस टाइम न्यूनतम रहे। आज देश में पश्चिमी (16 एयरबेस), पूर्वी(15 एयरबेस), दक्षिणी (9 एयरबेस), दक्षिण पश्चिमी(12 एयरबेस), मध्य कमान (8 एयरबेस) पांच मुख्य कमान हैं, तो दो ट्रेनिंग व मेंटिनेंस कमान भी कार्यरत हैं। इतना ही नहीं हाल ही में ताजिकिस्तान स्थित फारकुर एयरबेस देश का पहला ओवरसीज एयरबेस (ओएबी) भी ऑपरेशनल किया जा चुका है। जिसकी मदद से भारतीय वायुसेना दक्षिण एशिया में नए सैन्य समीकरण विकसित कर रही है। इसके अलावा आधुानिक टेक्नोलॉजी अधिग्रहण, आपसी सहयोग, रिसर्च- डेवलेपमेंट प्रोग्राम के चलते आज आइएएफ फिफ्थ जेनरेशन एयर फोर्स बनने की ओर है। ऐसे में यदि आप भी आइएएफ की गौरवमयी परंपराओं के अगले दौर में प्रवेश के गवाह बनना चाहते हैं तो यहां आपका स्वागत है।
पायलट एप्टीट्यूड टेस्ट
पीएबीटी सिर्फ एक बार होता है, जिसमें असफल हो जाने के बाद कै ंडिडेट्स भविष्य में यह टेस्ट नहीं दे सकते। इसमे दो टेस्ट होते हैं- एक लिखित व दूसरा कार्यगत क्षमता टेस्ट। लिखित परीक्षा मे इंस्ट्रक्टर कैंडिडेट को पढाता है और फिर उसी आधार पर प्रश्नों को हल किया जाता है। दूसरी प्रक्रिया में लाइट कंट्रोल टेस्ट, ड्रम टेस्ट के द्वारा परीक्षार्थी के मस्तिष्क का रिफलेक्शन एक्शन व फिजिकल क्षमताओं की परख होती है। मूलत: इन टेस्टों का उद्देश्य कैंडिडेट्स की फ्लाइंग एबीलिटी की जांच करनी होती है।
साइंस विषय पर पकड जरूरी
एयरफोर्स की परीक्षा में साइंस विषयों पर पकड काफी मायने रखती है, क्योंकि इस सेवा में शारीरिक दक्षता की अपेक्षा साइंटिफिक अप्रोच काफी अहम होता है। इसमें सफल होने के लिए जरूरी है कि आप बारहवीं तक की एनसीईआरटी पुस्तकों का गहन अध्ययन करें। इसके बाद अंग्रेजी बेहतर होनी चाहिए। अंग्रेजी अच्छी करने के लिए नियमित अंग्रेजी अखबार पढें और देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं से अवगत होते रहें। इसमें इंटरव्यू का अहम रोल होता है। इस परीक्षा के माध्यम से आपके व्यक्तित्व का संपूर्ण मुल्यांकन विभिन्न तरीकों से किया जाता है। यह काफी कठिन परीक्षा होती है। इसमें सफल अभ्यर्थियों का यही मानना है कि अगर आप त्वरित निर्णय लेने में सक्षम हैं। किसी भी समस्या का त्वरित समाधान कर सकते हैं, लीडरशिप के साथ-साथ ऑफिसर्स लाइक क्वालिटी है, तो आप इससे संबंधित परीक्षा में सफल हो सकते हैं।
निश्चै कर अपनी जीत करौं
71 का वॉर हीरो : निर्मल जीत सिंह सेखो
हम बात कर रहे हैं 1971 भारत-पाक युद्ध के अमर शहीद फ्लांइग लेफ्टिनेंट निर्मल जीत सिंह सेखों की। पंजाब के एक छोटे से गांव से निकलकर वह युवाओं के लिए प्रेरणा का सबब बन गए। अपने लक्ष्य को अपनी जिद्द बना लेने वाले सेखों ने हर मुसीबत का डटकर मुकाबला किया और एक फाइटर पायलट बनने का संकल्प पूरा कर ही दम लिया। 1971 युद्ध के वक्त श्रीनगर एयरबेस पर तैनात सेखों को दुश्मन के हमले का जवाब देने की जिम्मेदारी सौंपी गई। शत्रु की बमबारी, क्षतिग्रस्त हवाईपट्टी विपरीत मौसम की परवाह किए बगैर उन्होंने अपने फौलेंड नेट लडाकू विमान की मदद से पाक के सेबर जेट्स को उनकी सीमा तक खदेडा। इस दौरानभीषण डॉग फाइट में उन्होंने दुश्मन के दो सेबर जेट मार गिराए, पर इसी गोलाबारी में वे खुाद भी शहादत को प्राप्त हुए। भारत सरकार ने उनके असाधारण शौर्यको सर्वोच्च सैन्य वीरता सम्मान परम वीर चक्र (मरणोपरांत)से नवाजा।
काश, एयरफोर्स में होता
हाल ही में अपनी फिल्म मौसम में एयरफोर्स के जांबाज फाइटर पायलट का किरदार निभाने वाले शाहिद कपूर की मानें तो एयर फोर्स में जॉब करने से बेहतर कुछ भी नहीं। देश सेवा, सम्मान, बेहतर कॅरियर, एडवेंचर्स सब कुछ यहां पाया जा सकता है। बकौल शाहिद, ठीक है कि इस लेवल तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत व संघर्ष की जरूरत होती है, लेकिन यह संघर्ष ही तो सच्चे एयरफोर्स ऑफिसर की पहचान होता है। मैं तो कहूंगा कि युवा, अपनी कॅरियर च्वाइसेज में एयरफोर्स को प्राथमिकता दें।
शाहिद कपूर, फिल्म अभिनेता
(जोश से बातचीत पर आधारित)
भारतीय वायुसेना में इंट्री के रास्ते
दुनिया की सबसे बडी एयरफोर्स में शुमार आइएएफ को आज ऐसे जोश व जज्बे से भरे युवाओं की जरूरत है, जो जरूरत पडने पर देश के लिए कुछ भी कर गुजरें। इसके लिए समय समय पर वेकेंसीज निकलती रहती हैं, जहां आप कमीशंड व नॉन कमीशंड जॉब्स के लिए आयोजित परीक्षाओं में भाग ले सकते हैं। क मीशंड आॅिफसर बनने के लिए आपको जहां एनडीए,सीडीएस परीक्षा क्वालीफाई करना जरूरी है। नॉन कमीशंड पदों पर काबिज होकर आप आइएएफ का हिस्सा बन सकते हैं।
कमीशंड पद
कम उम्र में ऑफिसर
एनडीए-इंटरमीडिएट लेवल
यूं तो आर्म्ड फोर्सेज में इंट्री के कई रास्ते हैं, लेकिन यहां ऑफि सर बनने का सबसे प्रमुख रास्ता एनडीए है। जहां चयनित लोग कम आयु में ही सैन्य अधिकारी बन सेना को नेतृत्व दे सक ते हैं। यहां से पास आउट जेटलमैन कैडेट तीनों सेनाओं में शीर्ष पदों तक पहुंचते हैं। दूसरे शब्दों में, इस एग्जाम के जरिए आप आइएएफ, बतौर फाइटर पायलट ज्वाइन कर सकते हैं। ऐसे में वे सभी युवा जिन्होंने इंटरमीडिएट (पीसीएम ग्रुप) एग्जाम पास किया है और उनकी उम्र 16 से 19 के बीच है, इस ऑल इडिया लेवल परीक्षा के माध्यम से अपने ख्वाबों को अग्नि पंख दे सकते हैं। याूपीएससी इस परीक्षा का आयोजन साल में दो बार अप्रैल व अगस्त माह में कराता है। इस परीक्षा में उाीर्णकैंडिडेट्स को एसएसबी के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसमें पास होने के बाद मेडिकल चैकअप होता है और तब ऑल इंडिया मेरिट बनती है।
ग्रेजुएट लेवल
सीडीएस
यदि आप वायुसेना में ग्रेजुएशन के बाद इंट्री चाहते हैं तो भी आपके पास वायुसेना की विभिन्न ब्रांचेज में अवसर हैं। फ्लांइग ब्रांच में नियुक्ति, सीडीएस एनसीसी स्पेशल इंट्री व एसएसबी के माध्यम से होती है। एनसीसी स्पेशल इंट्री व एसएसबी में प्रवेश की जरूरी योग्यता जहां ग्रेजुएशन में गणित, भौतिकी विषयों के साथ न्यूनतम 60 फीसदी मार्क्स हैं, तो वहीं सीडीएस के लिए ग्रेजुएट (पीसीएम) होना जरूरी है।
ग्रांउड ड्यूटी ऑफिसर्स (जीडीओ)
ग्रांउड ड्यूटी ब्रांचेज में एडमिनिस्ट्रेशन, अकाउंट्स, लॉजिस्टिक्स आते हैं, जिनके माध्यम से आपको वायुसेना में फ्लाइट कंट्रोलर से लेकर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर ,एयरोनॉटिकल इंजीनियर आदि बनने का अवसर मिलता है। सभी के लिए अलग-अलग योग्यता व उम्र सीमा निर्धारित होती हैं। अमूमन सभी ब्रांचेज में इंट्री के लिए न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक आवश्यक हैं।
क्या होता है सेलेक्शन क्राइटेरिया
सभी पदों के लिए लिखित परीक्षा होती है, जिसमें उत्तीर्ण होने के बाद एसएसबी, इंटरव्यू व मेडिकल एग्जाम होता है। इन्हें क्वालीफाई करने के लिए बेहतर तैयारी की जरूरत होती है। देखा यह जाता हैकि स्टूडेंट्स लिखित परीक्षा में तो पास हो जाते हैं, लेकिन कॉन्फिडेंस की कमी के चलते एसएसबी में असफल हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी हैकि छात्र बौद्धिक रूप से दक्ष होने के साथ-साथ मानसिक रूप से खुाद को सबल बनाने का प्रयास करें।
नॉन कमीशंड रैंक
नॉन कमीशंड रैंक भी एयरफोर्स का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये वे लोग हैं जो ऑपरेशन्स के बेहतर संचालन के लिए जरूरी होते हैं।
एयरमैन
वायुसेना में इंट्री चाहने वाले युवाओं के लिए एयरमैन एक बेहतर विकल्प है। एयरमैन में तीन ग्रुप होते हैं, जिसमें टेक्निकल, नॉन टेक्निकल व म्यूजिकल ग्रुप शामिल होते हैं। इन तीनों ही गु्रपों में भर्ती के लिए अलग-अलग येाग्यता की दरकार होती है। इनमें कैंडिडेट्स का चयन तभी होता है, जब वह लिखित, मेडिकल परीक्षा के साथ चयन के सभी मानक पूरा करते हों।
एक्स ग्रुप-टेक्निकल
एक्स ग्रुप में भर्ती के लिए
कैंडिडेट्स को फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स के साथ इंटरमीडिएट में न्यूनतम 50 फीसदी अंको के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के लिए उम्मीदवार को मान्यता प्राप्त पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, आटोमोबाइल, आईटी आदि जैसी किसी ब्रांच में डिप्लोमा लेना जरूरी है। इस दौरान उसकी उम्र 17 से 22 वर्ष के बीच हो। एयरफोर्स चयन बोर्ड द्वारा चयनित छात्रों को रेडियो फिटर,राडार फिटर, मेंटीनेंस, सेफ्टी इक्यूपमेंट वर्कर,रेडियो टेक्नीशियन, एयर डिफेंस सिस्टम ऑपरेटर आदि पदों पर काम करने का अवसर मिलता है।
ग्रुप वाई
भारतीय वायुसेना में इन पदों पर वे कैंडिडेट्स आवेदन करते हैं, जिन्होंने 10वीं 50 फीसदी अंकों (अंग्रेजी विषय) के साथ उत्तीर्ण की हो या 12वीं 50 प्रतिशत अंकों के साथ पास की हो। कैंडिडेट्स की उम्र 16 से 20 वर्ष होनी चाहिए। इस सेवा में ग्रांउड ट्रेंनिंग इंस्ट्रक्टर, मिटीऑरिलॉजिकल असिस्टेंट, एयर फील्ड सेफ्टी ऑफिसर,रेडियो, टेलीफोन ऑपरेटर, एयरफोर्स पुलिस क्लर्क आदि पदों पर काम कर सकते हैं।
म्यूजिकल गु्रप
म्यूजिकल गु्रप के लिए दसवीं पास होना होगा,जबकि उनका ऐज क्राइटेरिया 17 से 35 साल के बीच है। इसके साथ उन्हें एक वाद्य यंत्र भी बजाना आना चाहिए।
कैसे होता है सेलेक्शन - जो कैंडिडेट्स लिखित व फिजिकल फिटनेस परीक्षा पास कर लेते हैं, उनका साक्षात्कार अफसरों व वारंट रैंक की एक टीम द्वारा लिया जाता है,, जिसमें उत्तीर्ण होने पर वायुसेना की चिकित्सीय टीम अपने मानकों के आधार पर उनका मेडिकल टेस्ट करती है।
जेआरसी टीम
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