नोबेल पुरस्कार विजेता एवं भारत रत्न सर सीवी रमन की 128 वीं जयंती 7 नवंबर 2016 को मनाया गया. भारतीय वैज्ञानिक विश्व में उनकी प्रेरणा से ही भारतीय परचम लहरा रहे हैं.
डॉ. रमन भारत के महान वैज्ञानिकों में से एक थे.
सीवी रमन के बारे में:
• चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म 7 नवम्बर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था. उनका निधन 21 नवम्बर 1970 को बैंगलोर में हुआ था.
• वे वर्ष 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान के प्राध्यापक भी रहे.
• उन्हें वर्ष 1924 में लन्दन की ‘रॉयल सोसाइटी’ का सदस्य बनाया गया.
• उन्हें वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया यह सम्मान उन्हें एक महत्वपूर्ण आविष्कार ‘रामन प्रभाव’ के लिए दिया गया था.
• वे वर्ष 1943 में बैंगलोर के समीप रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की.
• उन्हें वर्ष 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
• उन्हें वर्ष 1958 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
रमन प्रभाव क्या है?
रमन प्रभाव एक अद्भुत प्रभाव है, इसकी खोज के एक दशक बाद ही 2000 रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना निश्चित की गई थी. इसके पश्चात् ही क्रिस्टल की आंतरिक रचना का भी पता लगाया गया. रमन प्रभाव के अनुसार प्रकाश की प्रकृति और स्वभाव में तब परिवर्तन होता है. जब वह किसी पारदर्शी माध्यम से निकलता है. यह माध्यम ठोस, द्रव और गैसीय, कुछ भी हो सकता है. यह घटना तब घटती है, जब माध्यम के अणु प्रकाश ऊर्जा के कणों को छितरा या फैला देते हैं.
रमन प्रभाव रासायनिक यौगिकों की आंतरिक संरचना समझने के लिए भी महत्वपूर्ण है. प्रकाश किरणों को नए पदार्थ में से होकर गुजारने पर स्पेक्ट्रम में कुछ नई रेखाएँ प्राप्त होती हैं. यही रामन प्रभाव का आधार था.
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