महाराष्ट्र में इन दिनों आरक्षण यानी रिजर्वेशन का मुद्दा फिर से ख़बरों में आ गया है. चलिये इससे जुड़ी एक बड़ी अपडेट आपको देते है. महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट और उस पर आधारित एक मसौदा विधेयक को मंजूरी दे दी. यह विधेयक मराठों के आरक्षण से जुड़ा हुआ है.
इसके तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% मराठा आरक्षण दिए जाने का प्राविधान है. यह मराठा समुदाय के लिए कोटा लाभ प्रदान करने के लिए कानून पेश करने का राज्य द्वारा एक दशक में तीसरा प्रयास है. एक दशक में यह तीसरा मौका है जब राज्य ने मराठा कोटा के लिए कानून पेश किया.
इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने कहा कि, ''सरकार का यह फैसला चुनाव और वोटों को ध्यान में रखकर लिया गया है. यह मराठा समुदाय के साथ धोखा है...मराठा समुदाय आप पर भरोसा नहीं करेगा. हमारा फायदा ही होगा मूल माँगें. 'सेज-सोयारे' पर कानून बनाओ...यह आरक्षण नहीं रहेगा. सरकार अब झूठ बोलेगी कि आरक्षण दे दिया गया है."
Maharashtra Cabinet approved the draft of the bill for 10% Maratha reservation in education and government jobs.
— ANI (@ANI) February 20, 2024
Maratha reservation activist Manoj Jarange Patil says, "This decision of the government has been taken by keeping election and votes in mind. This is a betrayal to… pic.twitter.com/gRkLK2sCTf
आपको बता दें कि महाराष्ट में मराठा आबादी 28 प्रतिशत है. यह प्रस्ताव महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एमएससीबीसी) के निष्कर्षों पर आधारित है. चलिये अब जानते है कि मराठा आरक्षण की मांग कब-कब की गयी.
सुनील शुक्रे समिति ने सौंपी थी रिपोर्ट:
मराठा समुदाय की स्थिति का आंकलन करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील शुक्रे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था. मराठा समुदाय के पिछड़ेपन का निर्धारण करने के लिए एमएससीबीसी ने राज्य भर में 1.58 लाख से अधिक परिवारों का व्यापक सर्वेक्षण किया. सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील शुक्रे की अध्यक्षता में आयोग ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को रिपोर्ट सौंपी.
मराठा आरक्षण की मांग का इतिहास:
मराठा आरक्षण की मांग कोई नया विषय नहीं है, इसे लेकर मराठा समूह द्वारा बहुत पहले से ही मांग की जा रही है. मराठा जातियों का एक समूह है जिसमें किसानों और ज़मींदारों सहित अन्य लोग भी शामिल है.
साल 2017: एन जी गायकवाड़ की अध्यक्षता वाले 11 सदस्यीय आयोग ने सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) के तहत मराठों को आरक्षण की शिफारिश की थी.
साल 2018: मराठा समुदाय के लिये 16% आरक्षण का प्रस्ताव पास. बॉम्बे उच्च न्यायालय ने इस पर अपना फैसला देते सुनाते हुए कहा कि 16% के बजाय शिक्षा में 12% और नौकरियों में 13% का आरक्षण मिले.
साल 2020: माननीय के सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले पर रोक लगा दी.
साल 2021: सर्वोच्च न्यायालय ने कुल आरक्षण पर 50% की सीमा को आधार बताकर मराठा आरक्षण रद्द कर दिया.
EWS कोटा के तहत आरक्षण:
अगर वहीं EWS कोटे की बात करें तो महाराष्ट्र में पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत कोटा है, जिसमें मराठा सबसे बड़े लाभार्थी हैं. ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत, मराठा 85 प्रतिशत आरक्षण का लाभ उठा रहे है. लेकिन मराठा इन सबसे अलग विशेष मराठा आरक्षण की मांग कर रहे है.
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