Gyanvapi Case Updates: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अतिरिक्त महानिदेशक आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे का काम पिछले चार दिनों से चल रहा है.
भारत के प्राचीन शहरों में से एक वाराणसी के मध्य में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में शोधकर्ताओं की एक टीम लगी हुई है जो रहस्यमय ज्ञानवापी परिसर सर्वेक्षण का कार्य आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में कर रही है.
#WATCH | At lunch break on the third day of the ASI survey, advocate Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side in Gyanvapi mosque complex survey case, says, "...The work will resume at 2.30 pm and continue till 5 pm. There is no major update, scientific study is going on… pic.twitter.com/w3gpghPdno
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 6, 2023
पिछले चार दिनों से चल रहा सर्वेक्षण कार्य:
ज्ञानवापी परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण की टीम पिछले चार दिनों से अपने सर्वेक्षण कार्यों में लगी हुई है. शासकीय अधिवक्ता राजेश मिश्रा सर्वेक्षण से जुड़ी जानकारी मीडिया को दी है. वहीं मुस्लिम पक्ष ने सर्वेक्षण को लेकर झूठी ख़बरें फ़ैलाने का आरोप लगाया है और सर्वेक्षण प्रक्रिया से अलग होने की चेतावनी दी है.
वीडियोग्राफी और मैपिंग भी:
एएसआई की टीम पिछले चार दिनों में सर्वे के कम में लगी हुयी है. रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच 58 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी परिसर पहुंची थी. इसके साथ ही इन सब कार्यों की वीडियोग्राफी और मैपिंग भी करायी जा रही है. सर्वेक्षण से जुड़ी एक टीम ने ज्ञानवापी की चहारदीवारी और पश्चिमी दीवारों का भी अवलोकन किया. ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के चलते सुरक्षा चाक चौबंद की गयी है.
आलोक त्रिपाठी कर रहे नेतृत्व:
ज्ञानवापी परिसर सर्वेक्षण की कमान कोई और नहीं बल्कि पुरातत्व विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी संभाल रहे है. अलोक को इतिहास और पुरातत्व की अच्छी समझ है. अलोक त्रिपाठी परिसर के छिपे रहस्यों को उजागर करने में अपनी टीम के साथ लगे हुए है.
कौन है आलोक त्रिपाठी?
आलोक त्रिपाठी एक प्रतिष्ठित पुरातत्व विशेषज्ञ है और वह एएसआई की टीम का नेतृत्व कर रहे है. एएसआई में अपनी भूमिका के अलावा, डॉ. त्रिपाठी असम विश्वविद्यालय, सिलचर में एक प्रोफेसर के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके है.
उन्हें विशेष रूप से, तीन साल के पुरातत्व सर्वेक्षण और उत्खनन विभाग के उप महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है. अलोक एक प्रोफेशन डाइवर भी है. उन्होंने गुजरात के द्वारिका, महाराष्ट्र के एलीफेंटा, तमिलनाडु के मामल्लापुरम सहित कई स्थानों पर शोध कार्यो को अंजाम दिया है.
अंडरवाटर पुरातत्व विंग का भी नेतृत्व:
डॉ. आलोक त्रिपाठी को पानी के भीतर पुरातत्व की खोज में भी महारथ हासिल है. अपने विशेष ज्ञान के साथ उन्होंने पानी के नीचे डूबी पुरातात्विक सामग्रियों की खुदाई और सर्वेक्षण के कार्यो को भी अंजाम दिया है. एएसआई के अंडरवाटर पुरातत्व विंग के प्रमुख के रूप में भी उन्होंने कार्य किया है.
प्रिंसेस रॉयल जहाज़ का लगाया था पता:
आलोक त्रिपाठी ने बंगाराम द्वीप (लक्षद्वीप) के समुद्र में प्रिंसेस रॉयल जहाज़ के अवशेष ढूंढने में सफलता हासिल की थी. इसके साथ ही उन्होंने प्राचीन गुफाओं के रास्ते होने वाले व्यवसाय पर भी रिसर्च किया है.
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