रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व महानिदेशक डॉ. वी एस अरुणाचलम (Dr V S Arunachalam) का हाल ही में अमेरिका में निधन हो गया. उनके परिवार ने एक बयान जारी कर उनके निधन की सूचना दी है.
डॉ. वी एस अरुणाचलम अपने अनुसंधान के दम पर और भारत की सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में अहम योगदान दिया था. डॉ. वी एस अरुणाचलम 87 वर्ष के थे.
Dr. V.S. Arunachalam’s passing away leaves a major void in scientific community and the strategic world. He was greatly admired for his knowledge, passion for research and rich contribution towards strengthening India’s security capabilities. Condolences to his family and well…
— Narendra Modi (@narendramodi) August 17, 2023
पीएम मोदी ने जताया शोक:
पीएम मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. एक ट्वीट में पीएम ने कहा कि 'डॉ. वी.एस. अरुणाचलम का निधन वैज्ञानिक समुदाय और रणनीतिक दुनिया में एक बड़ा खालीपन छोड़ गया है. उनके ज्ञान, अनुसंधान के प्रति जुनून और भारत की सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में समृद्ध योगदान के लिए उनकी बहुत प्रशंसा की गई. उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदनाएं.'
कौन थे डॉ. वी एस अरुणाचलम?
डॉ. वी एस अरुणाचलम का पूरा नाम वल्लमपाडुगई श्रीनिवास राघवन अरुणाचलम था. उनका जन्म 10 नवंबर 1935 को हुआ था. उन्होंने शारदा विलास कॉलेज मैसूरु से अपनी पढ़ाई की थी. उन्होंने विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की थी.
डॉ. अरुणाचलम ने वेल्स विश्वविद्यालय से अपनी इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी थी. वर्ष 1965 में उन्होंने मटेरियल साइंस में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी.
वी एस अरुणाचलम, करियर हाइलाइट्स:
डॉ. वी एस अरुणाचलम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) और रक्षा धातुकर्म अनुसंधान प्रयोगशाला में बहुत दिनों तक कार्य किया था जहां उनका करियर शानदार रहा था. साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशाला (National Aeronautical Laboratory) में भी समय बिताया था. वह 1982-92 तक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे थे.
डीआरडीओ में योगदान:
डॉ. अरुणाचलम ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) का नेतृत्व भी किया था. अरुणाचलम ने डीआरडीओ में तीन प्रमुख कार्यक्रम शुरू किये थे. जिनमे हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) और उन्नत प्रौद्योगिकी पोत (एटीवी) प्रोग्राम प्रमुख रूप से शामिल थे.
डॉ. अरुणाचलम ने IGMDP (एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम) रणनीतिक और सामरिक निर्देशित मिसाइल विकसित करने में अहम योगदान दिया था.
रॉयल एकेडमी के पहले फेलो:
वह रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (यूके) के पहले भारतीय फेलो थे और उन्होंने मैटेरियल्स रिसर्च सोसाइटी बुलेटिन सहित कई विश्वविद्यालयों और फाउंडेशनों के सलाहकार और संपादकीय बोर्ड के सदस्य के रूप में भी काम किया.
पुरस्कार और सम्मान:
विज्ञान की दुनिया में उनके अहम योगदान के लिए वी एस अरुणाचलम को भारत सरकार ने देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' (1990) से सम्मानित किया था. उन्हें वर्ष 1985 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.
डॉ. अरुणाचलम को वर्ष 1080 में विज्ञान के क्षेत्र के प्रसिद्ध अवार्ड शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. 2015 में, अरुणाचलम को वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए DRDO के लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था.
Deeply grieved to learn of the passing away of Dr. V S Arunachalam, former Scientific Advisor to Raksha Mantri.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 16, 2023
Was a mentor to so many on defense, technology and nuclear matters.
Had the privilege of working closely with him, especially on the India-US relationship. Our trip… https://t.co/WIdMSmCSAc pic.twitter.com/wLupeXRvlx
DRDO salutes the visionary leadership of late Dr VS Arunachalam, first DRDO scientist to head DRDO & to assume office of SA. His dedication to advancing technology has left an enduring mark. May his legacy continue to inspire progress.@DefenceMinIndia@SpokespersonMoD pic.twitter.com/4dlGxcMWyW
— DRDO (@DRDO_India) August 16, 2023
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