भारतीय सेना दिवस 15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है, जानें इसके बारे में सबकुछ

Jan 15, 2021, 14:37 IST

यह दिन हर साल इसी दिन को मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन साल 1949 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान ली थी.

Why January 15 is celebrated as Army Day in India Significance and history in Hindi
Why January 15 is celebrated as Army Day in India Significance and history in Hindi

भारत में प्रत्येक साल 15 जनवरी को भारतीय थल सेना दिवस मनाया जाता है. भारत 15 जनवरी 2021 को 73वां सेना दिवस मना रहा है. यह दिन हर साल इसी दिन को मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन साल 1949 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान ली थी.

यह दिन सैन्य परेडों, सैन्य प्रदर्शनियों और अन्य आधिकारिक कार्यक्रमों के साथ नई दिल्ली व सभी सेना मुख्यालयों में मनाया जाता है. इस दिन उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी दी जाती है जिन्होंने अपने देश और लोगों की सलामती हेतु अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया होता है.

अलग-अलग रेजिमेंट की परेड

सेना दिवस के उपलक्ष्य में प्रत्येक साल दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड ग्राउंड में परेड निकाली जाती है, जिसकी सलामी थल सेनाध्यक्ष लेते हैं. आर्मी के जवानों के दस्ते और अलग-अलग रेजिमेंट की परेड होती है. इस दिन उन सभी बहादुर सेनानियों को सलामी भी दी जाती है जिन्होंने कभी ना कभी अपने देश और लोगों की सलामती के लिये अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया.

कैसे मनाया जाता है सेना दिवस

इस दिन दिल्ली की इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है. साथ ही शहीदों की विधवाओं को या परिवारवालों को सेना मेडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है.

15 जनवरी को क्यों मनाया जाता है भारतीय सेना दिवस?

फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के सम्मान में प्रत्येक साल सेना दिवस मनाया जाता है. करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ थे जिन्होंने 15 जनवरी 1949 में सर फ्रैंसिस बुचर से प्रभार लिया था. यह मौका भारतीय सेना के लिए एक बहुत ही अहम था इसलिए भारत में प्रत्येक साल इस दिन को सेना दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया तथा तब से अब तक यह परंपरा चली आ रही है.

फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के बारे में

फील्ड मार्शल केएम करियप्पा का जन्म 1899 में कर्नाटक में हुआ था. उनके पिता कोडंडेरा एक राजस्व अधिकारी थे.

उन्होंने मात्र 20 साल की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में नौकरी शुरू की थी. उन्होंने साल 1947 में हुए भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व भी किया था.

उन्हें भारत-पाक आजादी के समय दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वे साल 1953 में सेना से रिटायर हो गए थे.

बाद में, उन्होंने 1956 तक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भारत के उच्चायुक्त के रूप में काम किया. भारत सरकार ने उन्हें साल 1986 में 'फील्ड मार्शल' के पद से सम्मानित किया था.

वे 14 जनवरी 1986 को ‘फील्ड मार्शल’ का खिताब प्राप्त करने वाले दूसरे व्यक्ति थे. साल 1973 में भारत के पहले फील्ड मार्शन बनने का सम्मान सैम मानेकशॉ को है. फील्ड मार्शल करियप्पा का निधन 15 मई 1993 को बेंगलुरु में हो गया था.

फील्ड मार्शल के बारे में

भारतीय सेना में फील्ड मार्शल का पद सर्वोच्च होता है. ये पद सम्मान स्वरूप दिया जाता है. भारतीय इतिहास में अभी तक यह रैंक केवल दो अधिकारियों (सैम मानेकशॉ और केएम करियप्पा) को दिया गया है.

भारतीय सेना के बारे में

भारतीय सेना का गठन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कोलकाता में किया गया था. भारतीय सेना की पूरे दुनिया में एक अलग पहचान है. भारतीय सेना चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया की तीन सबसे बड़ी सेनाओं में से एक है. भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात है जो समुद्र तल से पांच हजार मीटर ऊपर है. यह दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है. साल 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान भारतीय सेना का 'ऑपरेशन राहत' सबसे बड़ी राहत अभियानों में से एक था.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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