भारत के उत्तर में जब भी प्रमुख राज्यों की बात होती है, तो इसमें उत्तर प्रदेश राज्य का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। भारत का यह राज्य कुल 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो कि पूरे भारत का करीब 7.33 फीसदी हिस्सा है। यह राज्य पूरे देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है।
साल 2011 में यहां की कुल आबादी 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी, जो कि पूरे भारत की करीब 16.5 फीसदी थी। हालांकि, वर्तमान में यह आंकड़ा 24 करोड़ को पार कर गया है। राज्य का इतिहास शुरू से ही समृद्ध रहा है। यहां की संस्कृति और अनूठी परंपराएं इसे अन्य राज्यों से अलग बनाती हैं। इतिहास में हमें राज्य के अलग-अलग नाम देखने को मिलते हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का नाम कितनी बार बदला है।
वैदिक काल में किस नाम से जाना जाता था यूपी
इतिहास उठाकर देखें, तो हमें वैदिक काल में यूपी का नाम ब्राह्रषि देखने को मिलता है। यह नाम वैदिक काल में ऋषियों से इसके जुड़ाव व इससे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को उजागर करता है।
2600 साल पहले यूपी की थी यह पहचान
भारत में 2600 साल पहले प्रदेश के कुछ हिस्से कोसल और पांचाल जैसे भारतीय प्राचीन और प्रमुख साम्राज्य के घर थे। इससे प्रदेश को राजनीतिक, रणनीतिक और विशिष्ट पहचान मिली थी।
600 साल पहले था यह नाम
समय के साथ भारत में कई आक्रमण हुए और इस कड़ी में शर्कियों का शासन हुआ। ऐसे में 14 शताब्दी में प्रदेश का एक हिस्सा शर्की सल्तनत के अधीन हुआ और यहां जौनपुर बसाया गया।
अवध सूबे से मिली पहचान
साल 1526 में बाबर द्वारा इब्राहिम लोधी को हराने के बाद यूपी के आगरा से मुगल शासन की नींव पड़ी, जिसके बाद यह एक केंद्रीय शक्ति के रूप में उभरा। उस समय यहां अवध सूबे का गठन किया गया, लेकिन आगे चलकर अवध सूबे का कमान नवाबों के हाथों में चली गई।
ब्रिटिश काल में मिला पश्चिमी प्रांत नाम
भारत में जब ब्रिटिश ने अपने पैर जमा लिए, तो उन्होंने अवध सूबे को छोड़कर बाकी हिस्से को पश्चिमी प्रांत नाम दिया। यह उस समय बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था।
1834 में मिला यह नाम
साल 1834 में ब्रिटिश ने इसे बंगाल से अलग कर आगरा प्रेसिडेंसी का नाम दिया। इससे क्षेत्र को प्रशासनिक रूप से नई पहचान मिली।
1836 में फिर से बदल गया नाम
अंग्रेजों ने प्रशासनिक रूप से सुधार करने हेतु इसके नाम में फिर से परिवर्तन किया और इस बार इसका नाम उत्तर-पश्चिम प्रांत कर दिया। उस समय प्रांत की राजधानी आगरा हुआ करती थी।
1856 में अवध सूबे का विलय
साल 1856 आते-आते ब्रिटिश ने प्रदेश में अपनी पकड़ अधिक बना ली थी। इसके तहत ब्रिटिश द्वारा अवध सूबे को सितंबर, 1856 में उत्तर-पश्चिम प्रांत के साथ मिला दिया गया।
1877 में फिर से बदल गया नाम
1858 में प्रदेश का मुख्यालय प्रयागराज कर दिया गया और 1877 में इसका नाम बदलकर उत्तर-पश्चिम प्रांत, आगरा और अवध कर दिया गया।
1902 में आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत मिला नाम
साल 1902 में इसका नाम और आसान किया गया, जिसके तहत प्रदेश को आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत नाम मिला। हालांकि, उस समय से कम शब्दों में इसे यूपी कहा जाने लगा था।
1935 में मिला संयुक्त प्रांत नाम
साल 1935 आया, जब तक प्रयागराज से इसकी राजधानी लखनऊ हो चुकी थी। ऐसे में प्रशासनिक सुधारों को और बेहतर करने हेतु व रणनीतिक रूप से राज्य में कई परिवर्तन किए गए, जिसके तहत इसका नाम फिर से बदला और यह संयुक्त प्रांत हो गया।
1950 में मिला उत्तर प्रदेश नाम
देश आजाद हुआ और तो प्रदेश का नाम बदलने पर विचार किया गया। उस समय इसे संयुक्त प्रांत(United Provinces) कहा जाता था। ऐसे में सरकार ने इसके उत्तर में स्थित होने के कारण प्रदेश का नाम उत्तर प्रदेश कर दिया ।
पढ़ेंःउत्तर प्रदेश का अनोखा गांव, जिसे घूमने के लिए खरीदना होगा टिकट, यहां देखें पता
Comments
All Comments (0)
Join the conversation