भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी लड़े गए युद्धों की बात होती है, तो इसमें कारगिल का युद्ध भी प्रमुख रूप से गिना जाता है। यह वह युद्ध है, जिसमें भारतीय जवानों ने प्राकृति की कठोरता सहने के साथ खराब मौसम में दुर्गम चोटियों पर चढ़कर पाकिस्तानी सेना के जवानों को खदेड़ा था। इस युद्ध में भारतीय जवानों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए 60 दिनों तक पाकिस्तानी सेना से जंग लड़ी, जिसका अंत 26 जुलाई 1999 को हुआ था। इस दिन को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय सेना की ओर से इसे ऑपरेशन विजय नाम दिया गया था, जिसमें सेना को विजय प्राप्त हुई थी। आपने कारगिल युद्ध के बारे में पढ़ा और सुना ही होगा। हालांकि, यह लख आपको कारगिल युद्ध से जुड़ी कुछ अनसुनी कहानियां बताएगा।
जब पता चली पहली घुसपैठ
पाकिस्तानी घुसपैठ का पता सबसे पहले एक स्थानीय चरवाहे को चला था, जिसका नाम ताशी नामग्याल था। चरवाहे ने दुर्गम चोटियों पर पाकिस्तानी सैनिकों को गोला और बारूद के साथ देखा था, जिसकी सूचना भारतीय सेना को दी गई थी। हालांकि, उस समय यह अंदाजा नहीं था कि किन-किन चोटियों पर घुसपैठ की गई है।
क्या था ऑपरेशन सफेद सागर
यह बात तो सभी लोग जानते हैं कि कारगिल युद्ध में भारतीय थल सेना द्वारा ऑपरेशन विजय चलाया गया था। हालांकि, इस दौरान एक और ऑपरेशन चला था, जिसका नाम ऑपरेशन सफेद सागर था, जो कि भारतीय वायु सेना द्वारा चलाया गया था। इसके तहत वायु सेना ने दुश्मनों के बंकरों और आपूर्ति लाइनों को निशाना बनाया था। हालांकि, चोटियों पर कम जगह होने की वजह से यह ऑपरेशन बहुत मुश्किल था, लेकिन वायु सेना के पायलटों ने अपने कौशल का परिचय देते हुए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था।
दुनिया के सबसे ऊंचे और दुर्गम क्षेत्र में लड़ा गया युद्ध
कारगिल का युद्ध ऐसा युद्ध था, जो कि दुनिया के सबसे ऊंचे और दुर्गम क्षेत्र में लड़ा गया था। यह युद्ध करीब 17000 फीट की ऊंचाई, तो -10 से -20 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में लड़ा गया था। वहीं, यहां की चोटियों तक गोला, बारूद व भोजन पहुंचाने के लिए कुलियों व खच्चरों का सहारा लेना पड़ता था। कई बार सैनिक खुद ही अपने कंधों पर सामान लादकर ले जाते थे। अधिक ऊंचाई होने की वजह से सैनिकों को ऑक्सीजन की कमी का भी सामना करना पड़ता था।
नवंबर तक तैयार रही थी सेना
कारगिय युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद भारतीय सेना कई महीनों तक हाई अलर्ट पर रखी गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना के जवान नवंबर, 1999 तक पाकिस्तान में घुसकर आक्रमक रूप से युद्ध लड़ने को तैयार थे। यदि इस दौरान एक कॉल भी आ जाती, तो जवान युद्ध के लिए दौड़ जाते। इसे लेकर जम्मू-कश्मीर और पंजाब के पास इंफैंट्री बटालियन्स तैनात की गई थीं।
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