क्यों एक गांव के बदले भारत ने पाक को दिए 12 गांव, जानिए यह रोचक कहानी!

साल 1962 में भारत ने फाजिल्का के पास सामरिक दृष्टि से अहम हेड सुलेमांकी क्षेत्र में 12 भारतीय गांव पाकिस्तान को देकर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव से जुड़ा हुसैनीवाला इलाका वापस लिया। 1962 तक यह क्षेत्र पाकिस्तान के पास था और उन्होंने कभी भी इन महान शहीदों की याद में कोई स्मारक नहीं बनवाया, जिन्होंने दोनों देशों की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे।

Bagesh Yadav
Jul 21, 2025, 08:07 IST
हुसैनीवाला बॉर्डर, श्री गुरु राम दास इंटरनेशनल एयरपोर्ट अमृतसर से 124 किमी, चंडीगढ़ एयरपोर्ट से 242 किमी और दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 428 किमी दूर है।
हुसैनीवाला बॉर्डर, श्री गुरु राम दास इंटरनेशनल एयरपोर्ट अमृतसर से 124 किमी, चंडीगढ़ एयरपोर्ट से 242 किमी और दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 428 किमी दूर है।

पंजाब के फिरोज़पुर से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित हुसैनीवाला सीमा चौकी (Hussainiwala Border) पर हर शाम एक अलग ही दुनिया बसती है। यहाँ सूर्यास्त होते ही आसपास की खामोशी को बॉर्डर सिक्यूरिटी फ़ोर्स (BSF) के जवानों के भारी बूटों की गूंज और उनके कदमों की गरज तोड़ देती है। खाकी वर्दी में सजे-धजे ये जवान कदम से कदम मिलाते हैं। वहीं शरहद पार भी पाकिस्तानी रेंजर्स भी ऐसा ही आयोजन करते है। दोनों देशों के जवान अपने पिकेट कमांडरों के जोरदार कमांड के बीच 40 मिनट तक चलने वाली इस रिट्रीट सेरेमनी में पूरी शान और सम्मान के साथ अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज को उतारते हैं, लेकिन क्या आपको इसके इतिहास के बारें में पता है, चलिए यहां हम हुसैनीवाला की ही चर्चा करते है। 

भारत-पाक बॉर्डर से महज 600 फीट दूर:  

हालांकि दोनों देशों के लोगों के दिलों में कभी-कभी कटुता रहती है, फिर भी इस सीमा चौकी पर हर शाम रिट्रीट सेरेमनी सालों से बिना किसी कानूनी बाध्यता के जारी है। भारतीय सीमा पर यह चेक पोस्ट जीरो लाइन से लगभग 100 फीट और पाकिस्तानी सीमा पर 600 फीट दूर है। पाकिस्तान की तरफ इस चौकी को गंडा सिंह वाला पोस्ट कहा जाता है। सीमा के दोनों ओर 15 फीट की दूरी पर भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज दिनभर फहराते रहते हैं।

जब एक गांव के बदले भारत ने पाक को दिए 12 गांव:

Hussainiwala Itihas भारतीय सीमा से सिर्फ एक किलोमीटर दूर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के स्मारक स्थित हैं। 1962 तक यह क्षेत्र पाकिस्तान के पास था और उन्होंने कभी भी इन महान शहीदों की याद में कोई स्मारक नहीं बनवाया, जिन्होंने दोनों देशों की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किए थे। 1962 में भारत ने हेड सुलेमांकी (फाजिल्का) के पास 12 गांव पाकिस्तान को देकर बदले में यह शहीदों की भूमि प्राप्त की थी। 

कैसे हुई साझा परेड की शुरुआत:

1970 तक यहाँ कोई साझा परेड या रिट्रीट सेरेमनी नहीं होती थी। एक शाम बीएसएफ के तत्कालीन महानिरीक्षक अश्विनी कुमार शर्मा ने दोनों देशों के अधिकारियों को मिलकर संयुक्त रिट्रीट सेरेमनी करने का प्रस्ताव दिया। तभी से यह परंपरा शुरू हुई, जो आज एक अनोखी मिसाल बन चुकी है।

एक बार जरूर देखने लायक अनुभव

फिरोज़पुर आने वाला कोई भी पर्यटक, या भारतीय इस ऐतिहासिक सीमा चौकी पर आए बिना अपनी यात्रा पूरी नहीं मानता। यहाँ पहुंचकर हर कोई खुद को किसी अलग ही दुनिया में पाता है। चारों ओर बजते देशभक्ति गीतों की गूंज माहौल को जोश से भर देती है। 

कैसे पहुंचे हुसैनीवाला बॉर्डर:

Ferozepur Se Hussainiwala Kaise Jaye हुसैनीवाला बॉर्डर, श्री गुरु राम दास इंटरनेशनल एयरपोर्ट अमृतसर से 124 किमी, चंडीगढ़ एयरपोर्ट से 242 किमी और दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 428 किमी दूर है। ट्रेन से फिरोज़पुर कैंट रेलवे स्टेशन से सिर्फ 13 किमी दूर है। सड़क मार्ग से फिरोज़पुर सिटी बस स्टैंड से 10.5 किमी और कैंट जनरल बस स्टैंड से 12.4 किमी की दूरी पर स्थित है। सोर्स: ferozepur.nic.in


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