क्या बिना पूछे पुलिस तोड़ सकती है ताला? ये रहा जवाब

भारत में पुलिस व्यवस्था ब्रिटिश काल से चलती आ रही है। अंग्रेजों द्वारा भारत पर शासन करने के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल किया था। हालांकि, भारत में अब पुलिस नागरिकों को सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैनात है। प्रशासन में लॉ एंड ऑर्डर को बनाएं रखने के लिए पुलिस को कुछ ताकत दिए गए है। लेकिन, क्या आप यह जानते हैं कि पुलिस को किसी घर का ताला तोड़ने के लिए मकान मालिक की सहमति की जरूरत होती है या नहीं? आज हम इस बारे में चर्चा करेंगे, क्योंकि भारतीय नागरिक होने के नाते आपको अपने राइट्स के बारे में पता होना चाहिए-

Mahima Sharan
Jul 22, 2025, 12:39 IST
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भारत के नागरिक होने के तौर पर यह आपका हक है कि आपको संविधान से जुड़े अपने हकों के बारे में जानकारी हो। आज हम आपको भारत की कानून व्यवस्था से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताएंगे। हम सभी का यह फर्ज है कि पुलिस और कानून व्यवस्था को रक्षा करें। भारत में पुलिस व्यवस्था काफी पुरानी है। आजादी से पहले ही भारत को कानून का वजूद मिल गया था। भारत में इसकी पहल ब्रिटिश सरकार की ओर से की गई थी। जब अंग्रेजों ने भारत की सत्ता पर कब्जा किया था, तब उन्होंने हिंदुस्तानी पर अपने हथकंडे आजमाने के लिए और अपना शोषण बढ़ाने के लिए बेरहम पुलिस का इस्तेमाल किया था।

ब्रिटिश काल से चली आ रही पुलिस व्यवस्था आज भी भारत में कायम है। हालांकि, समय-समय पर जरूरत पड़ने पर कानून व्यवस्था में कुछ बदलाव किए गए हैं। पुलिस का काम कानून व्यवस्था को बनाए रखना, समाज में शांति रखना, नियम-कानून को लागू कराना, अपराधियों को पकड़ना है और समाज में अपराध होने से रोकना है। लेकिन, भारत के नागरिक होने के तौर पर आपको अपने हितों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। अपराधियों को पकड़ने के लिए कई बार पुलिस लोगों के घरों पर छापा मारती है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं किसी के घर में छापा मारने और ताला तोड़ने के लिए पुलिस को पूरे प्रोसेस से गुजरना पड़ता है।

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आइए जानते है ताला तोड़कर अंदर जाने के लिए पुलिस को किससे परमिशन लेने की जरूरत पड़ती है।

भारत में कैसे आई पुलिस व्यवस्था?

अंग्रेजों ने पुलिस को और मजबूत बनाने के लिए 1861 में पुलिस अधिनियम लागू किया। इसी आधार पर देश के सभी राज्यों में पुलिस व्यवस्था लागू की गई। इस व्यवस्था में राज्य पुलिस का मुखिया पुलिस महानिदेशक होता है। भारत में पुलिस व्यवस्था में कई अन्य पद भी हैं। लेकिन भारतीय पुलिस नागरिकों की सुरक्षा और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के लिए भी जिम्मेदार है। पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए भी जिम्मेदार है।

क्या पुलिस जबरदस्ती तोड़ सकती है घर का ताला?

पुलिस के ऊपर कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी होती है। ऐसे में कई बार उन्हें सख्त कदम उठाने पड़ते हैं। वहीं कई बार पुलिस को अपराधियों को पकड़ने के लिए उनके घर छापेमारी करनी पड़ती है। हालांकि, पुलिस द्वारा किसी के घर का ताला जबरदस्ती तोड़ा जाना एक गंभीर मामला है। अगर पुलिस किसी वारंट या कानूनी प्रक्रिया के बिना ताला तोड़ती है, तो यह एक तरह से कानून का उल्लंघन करना होता है।

भारतीय कानून के अनुसार पुलिस को तलाशी लेने के लिए सर्च वारंट की जरूरत होती है। पुलिस बिना आपकी सहमति के घर का ताला नहीं तोड़ सकती है। हां, किसी खास परिस्थितियों में पुलिस ठोस कदम उठा सकती है, लेकिन उसकी वजह ठोस होनी चाहिए।

क्या होता है सर्च वारंट?

अगर पुलिस को लगता है कि आपके घर में कुछ गलत हुआ है या कोई अपराधी छिपा है, तो ऐसी परिस्थिति में पुलिस को वारंट की जरूरत पड़ती है। मालूम हो कि वारंट में तलाशी लेने का स्पष्ट कारण लिखा होना अनिवार्य है। घर में घुसने से पहले पुलिस को सर्च वारंट दिखाना जरूरी होता है।

जबरदस्ती ताला तोड़ने पर क्या कर सकते हैं?

अगर पुलिस जबरन आपके घर में घुसने की कोशिश करती है या ताला तोड़ती है, तो यह गैरकानूनी है और आप इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

बिना वारंट किन परिस्थितियों में पुलिस तोड़ सकती है ताला?

कुछ परिस्थितियों में, पुलिस बिना वारंट के तलाशी ले सकती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी अपराध को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता हो और किसी के घर से कोई संदिग्ध सबूत या अवैध हथियार मिले, तो बिना वारंट के तलाशी ली जा सकती है।



Mahima Sharan
Mahima Sharan

Sub Editor

Mahima Sharan, working as a sub-editor at Jagran Josh, has graduated with a Bachelor of Journalism and Mass Communication (BJMC). She has more than 3 years of experience working in electronic and digital media. She writes on education, current affairs, and general knowledge. She has previously worked with 'Haribhoomi' and 'Network 10' as a content writer. She can be reached at mahima.sharan@jagrannewmedia.com.

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