भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। देश का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है, जो कि कई देशों के संविधान से मिलकर बना है। भारतीय संविधान देश का सबसे बड़ा कानून है, जो कि एक प्रकार का लिखित दस्तावेज है। यह सरकार के अंगों, उनके उनके कार्य व नागरिकों के अधिकार व उनके कर्तव्यों को परिभाषित करता है।
देश में राजनीतिक व्यवस्था की नींव भारतीय संविधान से ही है, जो कि लोकतंत्र का सबसे अभिन्न अंग है। वहीं, भारतीय संसद को लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर कहा जाता है, जहां कानून को आकार दिया जाता है। मौजूदा समय में संसद में मानसून सत्र का आगाज हो गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि संसद में मानसून सत्र क्या होता है और संसद के कितने सत्र होते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
संसद में कुल कितने सत्र होते हैं
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि संसद में कुल कितने सत्र होते हैं। आपको बता दें कि संसद में कुल तीन सत्र होते हैं। इनमें से एक मानसून सत्र होता है, जबकि पहला बजट सत्र और तीसरा शीतकालीन सत्र होता है।
कब से कब तक चलेगा मानसून सत्र
भारतीय संसद में मानसून सत्र का आगाज 21 जुलाई, 2025 से हो गया है, जो कि 21 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान संसद में कृषि, मानसून व इसके प्रभाव, जलभराव, बाढ़ और अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
दो सत्रों के बीच कितना होना चाहिए समय
भारतीय संसद में होने वाले दो सत्रों के बीच 6 महीने से अधिक का समय नहीं होना चाहिए। आप कह सकते हैं कि एक साल में कम से कम दो बार संसद की बैठक होनी चाहिए, जिसमें पक्ष और विपक्ष, दोनों दलों के नेता शामिल होने चाहिए।
मानसून सत्र में क्या होता है
मानसून सत्र में विभिन्न महत्त्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाते हैं। चर्चा करने के बाद इन्हें पारित किया जाता है, जिससे नए कानून बन सके। साथ ही, इस दौरान सरकार द्वारा नए कानून और मौजूदा नीतियों की समीक्षा भी की जाती है। इस बीच प्रश्नकाल और शून्यकाल के दौरान विपक्ष द्वारा सरकार से उसके कार्यों व नीतियों को लेकर जवाब मांग जाता है।
कौन बुलाता है मानसून सत्र
संसद का सत्र बुलाने का कार्य संसदीय कार्यालय मंत्रालय के पास होता है। हालांकि, सत्र बुलाने के लिए यह अकेला जिम्मेदार नहीं है, बल्कि मंत्रालय द्वारा लोकसभा और राज्यसभा के सचिवालय के साथ समन्वय बैठाकर संसद के सत्र की एक तारीख व अवधि निश्चित की जाती है।
इसके बाद संसद के सत्र का ऐलान किया जाता है। ऐसे में आप कह सकते हैं कि हर साल संसद का सत्र बुलाना एक अनिवार्य प्रक्रिया है, जिसमें राजनीतिक, रणनीतिक व नीतिगत फैसलों पर चर्चा व समीक्षा करने के साथ नए कानून बनाए जाते हैं।
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