IAS की तैयारी के दौरान विवेकानंद से सीख सकते हैं ज्ञान की यह बातें

Dec 9, 2016, 12:03 IST

IAS की तैयारी के दौरान बहुत से उतार चढ़ाव आते हैं , ऐसे में IAS अभ्यर्थी आध्यात्मिकता का सहारा लेते हैं जो की उन्हें तात्कालिक प्रोत्साहन प्रदान करता है। स्वामी विवेकानंद जी की दी गयीं शिक्षाएं  एवं  उनके विचार IAS अभ्यर्थियों के लिए बहुत सहायक हैं।  आईये देखे उनके कुछ प्रमुख विचार

स्वामी विवेकानंद ने 19वीं सदी के अंतिम दशक में यायावर संन्यासी के तौर पर बेहद कठिनाईयों, पीड़ा और यहां तक कि व्यक्तिगत अपमान को सहते हुए पूरे भारत और कई विदेशी स्थलों का दौरा किया था। विवेकानंद ने कर्म योग, भक्ति आदि की अवधारणाओं की निंदा की और इन्हें 'पुराने जमाने का', ' गूढ़' या ' मात्र वाकपटुता' बताया। उन्होंने राष्ट्रवाद, सदाचार एवं नैतिकता और आध्यात्मिक मानवतावाद  के नए सिद्धांतों पर जोर दिया। आईएएस के उम्मीदवार के रूप में आपके पास स्वामी विवेकानंद की शिक्षा, जीवन की सीख का अनुसरण करने और उनके द्वारा दिए गए सिद्धांतों को समझने का पर्याप्त कारण है क्योंकि पहले के दो सिद्धांतों में काफी कठिनाई, पीड़ा और यहां तक कि व्यक्तिगत अपमान का सामना करना पड़ता है।

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ऐसा कई बार होता है जब आईएएस उम्मीदवार को एक संन्यासी मान लिया जाता है क्योंकि वह ऐसे ध्यान में लगा होता है जो 'पुराने जमाने का', ' गूढ़' या ' मात्र वाकपटु' अवधारणाओं, विचारों, समझ एवं पद्धतियों से बाहर निकल कर अध्ययन के नए सिद्धांतों, देश के लिए नया लोकाचार और देश (एक नया राष्ट्रवाद) की सेवा करने के लिए आध्यात्मिक मानवतावाद से जुड़ना चाहता है। उपरोक्त पैराग्राफ के आधार पर निम्नलिखित पैराग्राफों में विवेकानंद की विभिन्न शिक्षाओं पर चर्चा की गई है जिसे आईएएस की तैयारी के लिए कोई भी पढ़ सकता है।

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"जब तक आप खुद में विश्वास नहीं करेंगे तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते"

सिविल सेवा परीक्षा में सफलता अर्जित करने के लिए लगातार अध्ययन के अलावा कुछ ऐसी बातें हैं जिन पर किसी आईएएस उम्मीदवार को जरूर विश्वास करना चाहिए। उन बातों/ मूल्यों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है आत्मविश्वास और आस्था। भरोसा और विश्वास कोचिंग संस्थान, पठन सामग्रियों या यहां तक कि भगवान के जैसे तब तक बाहरी बल के जैसे होते हैं जब तक कि एक छात्र खुद के बूते लगातार काम न करने लगे और उसे अपने कौशलों पर विश्वास न हो। " भगवान उन्हीं की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं" यह कथन संदर्भ को बिल्कुल स्पष्ट कर देता है।

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"उठो। जागो और जब तक लक्ष्य न प्राप्त कर लो, तब तक रूको नहीं"

सिविल सेवा के लिए तैयारी को बेहद उत्साही और बड़ा काम माना जाता है। इसमें सफल होने के लिए काफी समय तक लगातार, तर्कसंगत और समर्पित प्रयास करने होते हैं। आपको थका हुआ महसूस नहीं करना चाहिए और जब तक आईएएस अधिकारी बनने में सफल न हो जाएं तब तक पूरी मेहनत और लगन से पढ़ाई करते रहें। जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो तब तक आपको जागा हुआ, प्रबुद्ध और जागरुक रहना चाहिए।
"आपको भीतर से बाहर निकलना है। कोई आपको नहीं सिखा सकता, कोई आपको आध्यात्मिक नहीं बना सकता। आपकी आत्मा के सिवा आपका कोई और शिक्षक नहीं है।"

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आईएएस की तैयारी में अवधारणाओं का विश्लेषण, विचारों के बारे में सोचना और आस– पास घटने वाली घटनाओं को काफी समझना होता है। उम्मीदवार को ऐसे तरीकों को विकसित और अपनाना होता है जिससे वे विश्लेषण करना, विचार करना और समझना सीख सकें। इस परीक्षा की तैयारी करने के लिए अनगिनत तरीके और रास्ते हैं। काफी बारीकी से योजना बना कर किसी को भी अपनी योजना खुद चुननी चाहिए। अनगिनत पठन सामग्रियां, कोचिंग संस्थान और मार्गदर्शन उपलब्ध हैं लेकिन स्व– अध्ययन से इनका कोई मुकाबला नहीं। खुद की तुलना में कोई भी दूसरा बेहतर शिक्षक नहीं हो सकता।

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"आराम में सत्य का स्वाद नहीं होता। सत्य अक्सर आराम से दूर होता है।"

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की लंबी अवधि में उम्मीदवार अपने जीवन के कई उतार– चढ़ाव से गुजरता है। अध्ययन की इस अवधि में वह काफी संघर्ष, कष्ट, कठिनाईयों के दौर से गुजरता है। आराम, सुखद माहौल और आसान जीवन भौतिकवादी है। ये स्थायी नहीं होते। कड़ी मेहनत के फल के रूप में मिली सफलता सत्य के रूप में आती है जो हमेशा बनी रहती है । इस सफलता को प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत संघर्ष भरा साबित हो सकता है। लेकिन इस सफलता के मिलने के बाद इसके लिए की गई कड़ी मेहनत की वेदना समाप्त हो जाएगी ।

"बदले में कुछ नहीं मांगना, कुछ नहीं चाहना। आप जो दे सकते हैं, दें। वह वापस आपके पास आएगा, लेकिन यह मत सोचें कि कैसे।"

IAS बनने के लिए उपयुक्त जीवनशैली
एक आईएएस उम्मीदवार को अपनी तैयारी के दौरान हमेशा अपनी सफलता की अनिश्चितता भी सताती  रहती है। काफी प्रयास करने के बाद फल की इच्छा रखने की प्रवृत्ति मनुष्यों में आम होती है और यही प्रवृत्ति उसे चिंताग्रस्त बना देती है, उसे कष्ट पहुंचाती है और अस्थिर बना देती है। इस संदर्भ में गीता का यह श्लोक बिल्कुल सही कहा जा सकता है –  "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥" आपके पास कर्म करने का अधिकार है लेकिन उसके बदले फल आपको मिले ही ऐसा जरूरी नहीं है। अच्छी तैयारी करें, काफी पढ़ाई करें और परीक्षा के लिए आप जितनी तैयारी कर सकते हैं करें, परिणाम हमेशा सार्थक ही होंगे। इन परिस्थितियों में सफलता के बारे में सपने देख कर समय और प्रयास को बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।

"एक समय में एक ही काम करें और जब वह काम कर रहे हों तो बाकी सब कुछ भूल कर उसमें अपनी पूरी शक्ति लगा दें।"

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सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के खुद के अवसर को बेहतर बनाने में खुद की पढ़ाई के प्रति अत्यंद ईमानदारी रखना सबसे महत्वपूर्ण कारक है। जरूरी नहीं है कि आप दिन के ज्यादातर समय पढ़ाई करते रहें। यहां तक कि लगातार पढ़ाई करने वालों के लिए भी इस परीक्षा में सफल होने हेतु 10-12 घंटों की पढ़ाई काफी है। यह पढ़ाई पूरी निष्ठा से की जानी चाहिए यानि पढ़ाई के दौरान कोई और काम बिल्कुल नहीं होना चाहिए। यह एकाग्रता किसी के मस्तिष्क में ज्ञान को स्थायी रूप से आत्मसात करने में मदद करेगी।

"दूसरों के लिए जीने वाले अकेले ही जीते हैं।"

आईएएस अधिकारी बनने के लिए जिन मूल्यों और गुणों की जरूरत होती है उन्हें खुद में विकसित करना उम्मीदवारों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। तैयारी और अध्ययन के दौरान उम्मीदवारों को हमारे देश के मामलों की वास्तविकता का पता चलता है। सैद्धांतिक और किताबी होने की बजाय उम्मीदवार को समाज, पर्यावरण और मानव जाति में पैठ बना चुकी अनगिनत समस्याओं के बारे में जागरुक रहना  चाहिए। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को खुद को इस प्रकार बनाना चाहिए कि वे ऐसे व्यक्ति बनेंगे जो इन समस्याओं का कुछ समाधान निकालेगा, जो दयालु हो सकेगा, जो सहिष्णु हो सकेगा और जो उदार हो सकेगा। इसके अलावा, उनके ये गुण निबंध और नैतिकता के पेपर में अच्छी तरह से परखे जाते हैं। कई बार, व्यक्तित्व परीक्षण में उम्मीदवार के इन गुणों का पता चल जाता है।

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जैसा कि विवेकानंद अक्सर कहा करते थे, " आप जो भी सोचेंगे, आप बन जाएंगे। अगर आप सोचेंगे कि आप कमजोर हैं, तो आप कमजोर बन जाएंगे। अगर आप सोचेंगे आप मजबूत हैं तो आप मजबूत बन जाएंगे।" एक आईएएस उम्मीदवार को खुद को आने वाले समय में बनने वाला आईएएस अधिकारी समझना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे यह सोचने के दौरान देश की सेवा करने वाले आईएएस अधिकारी के लिए अनिवार्य आदर्श गुणों को खुद में आत्मसात एवं मन और मस्तिष्क में उन गुणों को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।

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Jagran Josh
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Education Desk

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