Basant Panchami Speech in Hindi: हमारी हिंदू आराध्य देवी मां सरस्वती का त्योहार सरस्वती पूजा है, जिसे बसंत पंचमी भी कहा जाता है। यह ज्ञान की देवी मां सरस्वती के प्रति सम्मान व्यक्त करने और उनकी पूजा करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार वसंत ऋतु की शुरुआत पर भी शुरू होता है । यह वो मौसम है जब फूल खिलते हैं, और पेड़ों को कठोर सर्दियों के बाद अपनी हरियाली वापस मिलती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह दिन माघ महीने में आता है। 2024 में, बसंत पंचमी 14 फरवरी, 2024 को मनाई जाएगी। पूजा का समय 13 फरवरी, 2024 को दोपहर 2:41 बजे से शुरू होगा और 14 फरवरी, 2024 को दोपहर 12:09 बजे समाप्त होगा। इस प्रकार, सभी को इसे पूरा करना चाहिए उनकी पूजा दोपहर 12:09 बजे से पहले करें।
क्यूंकि यह त्यौहार छात्र के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज़, ज्ञान और बुद्धिमत्ता से जुड़ा है, इसलिए इसे स्कूलों में विभिन्न कक्षाओं के छात्रों के लिए मनाया जाता है। वे निबंध लेखन, भाषण, ड्राइंग आदि जैसी कई प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। यहां, हम आपकी भाषण प्रतियोगिताओं को आसानी से जीतने के लिए बसंत पंचमी पर हिंदी में भाषण लेकर आए हैं।
बसंत पंचमी पर भाषण हिंदी में
यहां छात्र बसंत पंचमी पर 2 या 3 मिनट का भाषण प्राप्त कर सकते हैं। ये भाषण आपको प्रतियोगिता जितने में
मदद करेगा। हम सभी विद्यार्थियों को ये सलाह देना चाहेंगे कि भाषणों को एक उदाहरण के तौर पर प्रयोग करे या
इनसे प्रेरणा लेकर प्रतियोगिता में कुछ नया पेश करे।
बसंत पंचमी पर 2 मिनट का भाषण
मित्रों और आदरणीय अध्यापकों को नमस्कार!
आज मैं आप सबके सामने बसंत पंचमी के खास मौके पर कुछ शब्द बोलना चाहता/चाहती हूँ। सर्दी की कड़क धूप धीरे-धीरे कम हो रही है और पेड़ों पर नई पत्तियां निकल रही हैं। चारों ओर पीले रंग की छटा खुशियों का संदेश दे रही है। जी हाँ, बसंत पंचमी आ चुकी है, प्रकृति के जागरण और नए साल की शुरूआत का पर्व!
यह दिन बसंत के प्रारम्भ का प्रतीक है। इसके साथ इस दिन हम माँ सरस्वती से ज्ञान और सदबुद्धि माँगते हैं । फूल, कलम, कॉपी,
मिठाइ इत्यादि चीज़ें माँ सरस्वती को चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है।
लेकिन बसंत पंचमी हमें सिर्फ बाहरी रंग ही नहीं दिखाती, बल्कि भीतर भी एक नई शुरुआत की प्रेरणा देती है। ठीक उसी तरह जैसे पेड़ सर्दियों में अपने पत्ते गिराकर वसंत में नए पत्ते उगाते हैं, हमें भी पुरानी आदतों को त्यागकर नई चीजें सीखने का प्रयास करना चाहिए। क्या हम इस बसंत पंचमी को प्रकृति से सीख लेकर, ज्ञान की ज्योति जलाकर, और अपने अंदर एक अच्छा इंसान बनने का संकल्प लेंगे?
आखिर में, मैं यही कहना चाहता/चाहती हूँ कि आइए, इस बसंत पंचमी को प्रकृति के साथ मिलकर जश्न मनाएं, ज्ञान की रोशनी से अपने जीवन को उज्ज्वल बनाएं, और खुशियों को अपने आसपास फैलाएं।
धन्यवाद!
बसंत पंचमी पर 3 मिनट का भाषण
मित्रों और आदरणीय अध्यापकों को नमस्कार!
आज मैं आप सबके सामने बसंत पंचमी के खास मौके पर कुछ शब्द बोलना चाहता/चाहती हूँ। सर्दी की कड़क धूप धीरे-धीरे कम हो रही है और पेड़ों पर नई पत्तियां निकल रही हैं। चारों ओर पीले रंग की छटा खुशियों का संदेश दे रही है। जी हाँ, बसंत पंचमी आ चुकी है, प्रकृति के जागरण और नए साल की शुरूआत का पर्व!
बसंत पंचमी सिर्फ मौसम बदलने का त्योहार नहीं है, बल्कि ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा का पवित्र दिन भी है। स्कूलों में पीले वस्त्र धारण करके हम विद्यार्थी मां सरस्वती को पुष्प अर्पित करते हैं, विद्या प्राप्ति की कामना करते हुए। पतंगें आसमान में ऊंची उड़ रही होती हैं, मानो वो हमें अपने लक्ष्यों को पाने की प्रेरणा दे रही हों। घरों में बेसन के लड्डू, केसरी का भोग और मीठे चावल जैसी स्वादिष्ट मिठाइयां बनती हैं, खुशियों को और बढ़ाते हुए।
यह दिन बसंत के प्रारम्भ का प्रतीक है। इसके साथ इस दिन हम माँ सरस्वती से ज्ञान और सदबुद्धि माँगते हैं । फूल, कलम, कॉपी,
मिठाइ इत्यादि चीज़ें माँ सरस्वती को चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है।
लेकिन बसंत पंचमी हमें सिर्फ बाहरी रंग ही नहीं दिखाती, बल्कि भीतर भी एक नई शुरुआत की प्रेरणा देती है। ठीक उसी तरह जैसे पेड़ सर्दियों में अपने पत्ते गिराकर वसंत में नए पत्ते उगाते हैं, हमें भी पुरानी आदतों को त्यागकर नई चीजें सीखने का प्रयास करना चाहिए। क्या हम इस बसंत पंचमी को प्रकृति से सीख लेकर, ज्ञान की ज्योति जलाकर, और अपने अंदर एक अच्छा इंसान बनने का संकल्प लेंगे?
आखिर में, मैं यही कहना चाहता/चाहती हूँ कि आइए, इस बसंत पंचमी को प्रकृति के साथ मिलकर जश्न मनाएं, ज्ञान की रोशनी से अपने जीवन को उज्ज्वल बनाएं, और खुशियों को अपने आसपास फैलाएं।
धन्यवाद!
बसंत पंचमी पर कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियाँ, 10 Lines on Basant Panchami
- यह त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी देवी सरस्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है
- यह दिन वसंत ऋतु की शुरुआत का भी प्रतीक है
- इस दिन लोग आमतौर पर पीले कपड़े पहनते हैं
- यह दिन पूजा करके, मिठाइयाँ खाकर, विभिन्न गतिविधियाँ करके मनाया जाता है
- स्कूलों में छात्रों को सरस्वती मंत्रों का जाप करने और भाषण, नृत्य, गायन आदि जैसी विभिन्न गतिविधियाँ करने के लिए कहा जाता है।
- 2024 के लिए, पूजा का समय 13 फरवरी को दोपहर 2:41 बजे से शुरू होगा और 14 फरवरी, 2024 को दोपहर 12:09 बजे समाप्त होगा।
- आमतौर पर यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने में आता है
- उत्सव के दौरान, छात्र देवी को फूल और मिठाइयाँ के साथ कलम, प्रतियां, स्टेशनरी सामान चढ़ाते हैं।
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