Guru Purnima: गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक पावन पर्व है, जो ज्ञान, शिक्षण और मार्गदर्शन के प्रतीक गुरु को समर्पित होता है। यह दिन गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान देने और अपने जीवन में गुरु के योगदान को याद करने का उत्तम अवसर होता है। स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें छात्र अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इसी अवसर पर विद्यार्थियों को गुरु पूर्णिमा पर भाषण लिखने और प्रस्तुत करने की गतिविधि भी दी जाती है, ताकि वे इस पर्व के महत्व को समझ सकें और अपने विचार व्यक्त कर सकें।
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गुरु पूर्णिमा पर 100 शब्दों का भाषण
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकों और मेरे प्रिय साथियों,
सुप्रभात। आज मैं गुरु पूर्णिमा पर कुछ शब्द कहना चाहता/चाहती हूँ।
गुरु पूर्णिमा का पर्व शिक्षकों और गुरुओं के सम्मान का दिन है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारे जीवन में गुरु का कितना महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे शिक्षक ही हमें जीवन में सही राह दिखाते हैं और हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाते हैं। आज के दिन हम अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
आइए, हम सब मिलकर इस दिन अपने गुरुओं का सम्मान करें और उनके दिखाए मार्ग पर चलें।
धन्यवाद।
गुरु पूर्णिमा पर 150 शब्दों का भाषण
सभी को मेरा नमस्कार।
आज हम गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर एकत्र हुए हैं, जो हमारे जीवन में गुरुओं के योगदान को याद करने और उन्हें सम्मान देने का दिन है। यह पर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसे महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में भी जाना जाता है।
गुरु वह दीपक हैं जो हमारे जीवन के अंधकार को दूर करके हमें सफलता की राह दिखाते हैं। वे हमारे चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्राचीन काल से ही भारत में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है — "गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर:" इस मंत्र से गुरु की महानता झलकती है।
इस गुरु पूर्णिमा पर, हम अपने शिक्षकों और मार्गदर्शकों का धन्यवाद करते हैं, जिनकी वजह से हम आगे बढ़ रहे हैं।
धन्यवाद।
गुरु पूर्णिमा पर 200 शब्दों का भाषण
सुप्रभात सभी को।
आज मैं गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता/चाहती हूँ। गुरु पूर्णिमा वह विशेष दिन है जब हम अपने गुरुओं और शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
यह पर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसे महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने वेदों का संकलन किया और हमें आध्यात्मिक ज्ञान की दिशा दिखाई।
गुरु का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। वे हमारे पथ-प्रदर्शक होते हैं, जो हमें सही और गलत में अंतर करना सिखाते हैं।
आज हम सब अपने शिक्षकों को सम्मानित करते हैं, उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान को अपनाने का संकल्प लेते हैं।
स्कूलों और संस्थानों में इस दिन विशेष कार्यक्रम, भाषण, नाटक और भजन आयोजित किए जाते हैं।
गुरु पूर्णिमा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारे संस्कारों और परंपराओं की गहराई को समझने का अवसर है।
आइए, इस दिन हम सब मिलकर अपने गुरुओं का आदर करें और उन्हें गर्व महसूस कराएँ।
धन्यवाद।
गुरु पूर्णिमा पर 300 शब्दों का भाषण
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सम्माननीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों,
नमस्कार।
आज हम सब यहाँ गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह दिन हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों — हमारे गुरु — को समर्पित होता है।
गुरु का अर्थ होता है – ‘गु’ यानी अंधकार और ‘रु’ यानी उसे दूर करने वाला। यानी गुरु वह होते हैं जो अज्ञानता के अंधकार को हटाकर हमारे जीवन को ज्ञान से आलोकित करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों को चार भागों में विभाजित कर मानव समाज को अनमोल ज्ञान दिया।
भारत में गुरु को ईश्वर के समान माना गया है। "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय" — यह कहावत गुरु की महानता को दर्शाती है।
इस दिन स्कूलों में भाषण, नाटक, गीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। छात्र अपने शिक्षकों को उपहार और शुभकामनाएँ देते हैं।
हमारे माता-पिता, शिक्षक, और जीवन के मार्गदर्शक — सभी हमारे जीवन के गुरु होते हैं। उनके बिना हमारा जीवन अधूरा होता है।
इसलिए आइए, हम इस दिन संकल्प लें कि हम अपने गुरुओं का सम्मान करेंगे, उनके बताए मार्ग पर चलेंगे और उनके विश्वास को कभी टूटने नहीं देंगे।
धन्यवाद।
गुरु पूर्णिमा पर 500 शब्दों का भाषण
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्रिय सहपाठियों,
सुप्रभात।
आज मैं आप सभी के सामने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए खड़ा हूँ।
गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हमें जीवन में गुरु की भूमिका और महत्व का स्मरण कराता है। यह पर्व आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन को महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों को लिखा, महाभारत की रचना की और हिन्दू धर्म की अनेक धार्मिक रचनाएँ दीं।
गुरु का अर्थ होता है – अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाला। जीवन में हम चाहे कितनी भी सफलताएँ प्राप्त करें, लेकिन यदि हमारे पास सही मार्गदर्शन नहीं हो तो वह सफलता अधूरी रह जाती है। गुरु हमें सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देते, बल्कि हमें जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं।
गुरु को हमारे ग्रंथों में ईश्वर से भी ऊपर स्थान दिया गया है। कबीरदास जी ने लिखा है –
"गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।"
अर्थात् जब गुरु और भगवान एक साथ खड़े हों तो पहले किसके चरण छुए जाएँ? कबीरदास जी कहते हैं कि मैं तो अपने गुरु के चरण छुऊँगा, क्योंकि उन्होंने ही मुझे भगवान का मार्ग दिखाया है।
आज के दिन विद्यार्थी अपने शिक्षकों को आदर और धन्यवाद देते हैं। स्कूलों में नाटक, भाषण, गीत और सम्मान समारोह आयोजित किए जाते हैं। यह दिन गुरु और शिष्य के रिश्ते को और मजबूत बनाता है।
हमारे माता-पिता, शिक्षक, और जीवन में मिलने वाले मार्गदर्शक सभी हमारे गुरु होते हैं। वे हमें अच्छा इंसान बनाते हैं, गलतियों से सीखने की प्रेरणा देते हैं और जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाते हैं।
इसलिए आइए, इस गुरु पूर्णिमा पर हम यह प्रण लें कि हम अपने गुरुओं के दिखाए रास्ते पर चलेंगे, उन्हें आदर देंगे और हमेशा उनके आशीर्वाद से जीवन में ऊँचाइयाँ प्राप्त करेंगे।
धन्यवाद।
गुरु पूर्णिमा पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Guru Purnima in Hindi)
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गुरु पूर्णिमा एक पावन पर्व है जो शिक्षकों और मार्गदर्शकों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।
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यह पर्व आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
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यह दिन महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
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गुरु हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाते हैं।
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यह दिन गुरु के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर होता है।
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विद्यार्थी इस दिन अपने शिक्षकों को सम्मान देते हैं और उपहार भी भेंट करते हैं।
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स्कूलों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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इस दिन विशेष रूप से ‘गुरु मंत्र’ और भजन-कीर्तन किए जाते हैं।
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गुरु का स्थान माता-पिता और भगवान के बराबर माना गया है।
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गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें जीवन में गुरुओं के महत्व की याद दिलाता है।
गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हमें हमारे जीवन में शिक्षकों की अमूल्य भूमिका के बारे में बताता है। यह अपने गुरुओं को उनके द्वारा किए गए सभी योगदानों के लिए दिल से धन्यवाद देने का एक सुंदर अवसर है। हम अपने शिक्षकों से बहुत कुछ सीखते हैं और उन शिक्षाओं को अपने जीवन में आगे बढ़ाते हैं। अपने गुरुओं का सम्मान करके हम उनके योगदान को स्वीकार करते हैं और ज्ञान व सत्य के मार्ग पर चलने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। यह दिन हमें अपने जीवन में बेहतर करने और भविष्य में जिम्मेदार छात्र बनने की प्रेरणा देता है।
इन निबंधों की मदद से छात्र गुरु पूर्णिमा जैसे विशेष अवसर पर आसानी से लेखन कर सकते हैं। ऐसे ही और अपडेट्स के लिए फॉलो करते रहें।
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