जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 साल पूरे

Apr 14, 2019, 09:57 IST

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार पर खेद जताया है. जलियांवाला बाग हत्‍याकांड न केवल भारतीय इतिहास का त्रासदीपूर्ण अध्‍याय है, बल्कि ब्रिटिश इतिहास में भी वह एक ऐसा धब्‍बा है, जो उसे हमेशा शर्मशार करता रहेगा.

100 years of Jallianwala Bagh Massacre
100 years of Jallianwala Bagh Massacre

अमृतसर के जलियांवाला बाग के नरसंहार कांड के 13 अप्रैल 2019 को 100 साल पूरे हो गए. जलियांवाला बाग नहरसंहार के 100 वर्ष पूरे होने पर शताब्‍दी श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया है. देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है.

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार पर खेद जताया है. जलियांवाला बाग हत्‍याकांड न केवल भारतीय इतिहास का त्रासदीपूर्ण अध्‍याय है, बल्कि ब्रिटिश इतिहास में भी वह एक ऐसा धब्‍बा है, जो उसे हमेशा शर्मशार करता रहेगा.

गौरतलब है कि पंजाब के अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन हुआ था. जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता के समर्थन में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के लिए जुटी भीड़ पर कर्नल आर डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश इंडियन आर्मी ने अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे. इस नरसंहार को भारतीय इतिहास के सबसे घातक हमलों में से एक के रूप में याद किया जाता है.

क्या है जलियांवाला बाग हत्याकांड

जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 (बैसाखी के दिन) हुआ था. रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. ये सभा पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी और रोलेट एक्ट के विरोध में रखी गई थी. जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं.

गोली से बचने के लिए बहुत से लोगों ने कुएं में छलांग लगा दी थी. गोलीबारी के बाद कुएं से 200 से ज्यादा शव बरामद हुए थे. वहीं निकास का रास्ता संकरा होने की वजह से बहुत से लोग भगदड़ में कुचले गए थे.

अंग्रेजों के आंकड़े बताते हैं कि जलियांवाला बाग कांड में 379 लोग मारे गए थे. हालांकि, भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के अनुसार, उस दिन एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और करीब दो हजार गोलियों से जख्मी हुए थे.

इस घटना के प्रतिघात स्वरूप सरदार उधमसिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में इस घटना के समय ब्रिटिश लेफ़्टिनेण्ट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर को गोली चला के मार डाला. उन्हें 31 जुलाई 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया गया था.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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