अमेरिका पर हुए आतंकी हमलों की 11 सितंबर 2019 को 18वीं बरसी है. इस हमले ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था. इन हमलों ने पश्चिमी देशों को आतंकवाद के उस चेहरे से आमने-सामने कराया जिसे पहचानने से हर किसी ने इंकार कर दिया था. 18 साल के बाद भी इस घटना ने लोगों का पीछा नहीं छोड़ा है.
9/11 हमला: यह कैसे हुआ?
आतंकी संगठन अल-क़ायदा ने 11 सितंबर 2001 को संयुक्त राज्य अमेरिका पर आत्मघाती हमला किया. अल कायदा आतंकवादियों ने उस दिन चार यात्री विमानों का अपहरण किया था. आतंकवादियों ने जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया था, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा भवनों के अंदर काम करने वाले अनेक लोग मारे गए थे. दोनों बड़ी इमारतें दो घंटे के अंदर ढह गई थीं. यहां तक कि उनके पास वाली इमारतें भी पूरी तरह से तबाह हो गईं थी और दूसरी इमारतों को भारी नुकसान हुआ था.
आतंकवादियों ने तीसरे विमान को वाशिंगटन डी.सी. के बाहर आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन से टकरा दिया था. आतंकवादियों द्वारा वाशिंगटन डी॰सी॰ की ओर पुनर्निर्देशित किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद, विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में जा टकराया. किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बचा था.
इस पूरे हमले में 3000 से अधिक लोग मारे गए थे तथा लगभग 6,000 अन्य लोग घायल हो गए थे. यह हमला इतना बड़ा था कि इस हमले में लगी आग को बुझाने में करीब 100 दिन का समय लगा था. आतंकवादियों ने हवाई जहाज को मिसाइल के रूप में उपयोग किया था.
9/11: प्रभाव
अमेरिका को 9/11 हमले के बाद काफी समय तक आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ी थी. अमेरिका का स्टॉक मार्केट चार दिन के लिए बंद पड़ गया था. वह हमले के बाद से ही निरंतर नीचे गिरने पर लगा हुआ था. इस हमले के बाद अमेरिका में लोगों के पास नौकरी की तंगी आ गई थी. अमेरिका को इससे उभरने में एक लंबा समय लगा था.
इस हमले के बाद लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाला. इस हमले के बाद अमेरिका में तीन गुना कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है. यह हमला बेशक साल 2001 में हुआ था लेकिन लोगों के स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव साल 2012 के बाद सबसे ज्यादा पड़ना शुरू हुआ. कैंसर का मुख्य कारण टॉवर की धूल को बताया गया है.
9/11 का आतंकी हमला केवल अमेरिका ही नहीं बल्कि, पूरे विश्व के लिए ही एक बुरा दिन था. अमेरिका ने इस हमले के दोषी ओसामा बिन लादेन को भी आखिरकार मार गिराया था.
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