अयोध्या विवाद: ASI के प्रमाण क्या हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने फैसले का आधार बनाया?

Nov 11, 2019, 15:38 IST

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया कि विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को दी गई है. कोर्ट ने कहा की मस्जिद के लिए अयोध्या में ही अलग से पांच एकड़ जमीन दी जायेगी.

ayodhya excavation
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि मंदिर को तोड़ने और मस्जिद बनाने के बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया कि विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को दी गई है. कोर्ट ने कहा की मस्जिद के लिए अयोध्या में ही अलग से पांच एकड़ जमीन दी जायेगी.

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने फैसले में कहा कि एएसआई की खुदाई में हिंदू ढांचे के प्रमाण मिले हैं. कोर्ट ने कहा की रिकॉर्ड में मौजूद सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से पर हिंदुओं का कब्जा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की साल 1856 से पहले भी हिंदू मंदिर के अंदर पूजा करते थे.

एएसआई की रिपोर्ट

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर जांच के लिए विवादित स्थल की खुदाई की. विवादित अयोध्या स्थल पर दो बार खुदाई हुई, पहली बार साल 1976-77 में और फिर साल 2003 में. कोर्ट के आदेश पर साल 2003 में विवादित स्थल पर कराई गई खोदाई में मिले भग्नावशेषों से मंदिर के दावे को बल मिला था.

कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण कराया था. यह काम टोजो विकास इंटरनेशनल नाम की कंपनी ने किया था. अदालत ने इस रिपोर्ट पर मुकदमे के पक्षकारों की राय सुनने के बाद मार्च 2003 में सिविल प्रोसीजर कोड के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आदेश दिया था. एएसआई ने अगस्त 2003 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ को 574 पृष्ठों की एक रिपोर्ट सौंपी थी.

अयोध्या में क्या-क्या मिला था एएसआई को

• एएसआई की खोदाई में 13वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक के अवशेष मिले हैं. उनमें इतिहास के कुषाण, शुंग काल से लेकर गुप्त और प्रारंभिक मध्य युग तक के अवशेष हैं.

• प्रारंभिक मध्य युग 11-12वीं शताब्दी की 50 मीटर उत्तर-दक्षिण इमारत का ढांचा मिला है. इसके ऊपर एक और विशाल इमारत का ढांचा है, जिसकी फर्श तीन बार में बनी.

• एएसआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस इमारत के खंडहरों के ऊपर 16वीं शताब्दी में विवादित ढांचा (मस्जिद) बनाया गया था.

• एएसआई ने अपनी खुदाई में 50 खंभे पाए जो विवादित ढांचे (मस्जिद) के गुम्बद के ठीक नीचे स्थित है.

• एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि उन्हें अन्य युगों के खंडहर भी मिले हैं. ये खंडहर बौद्ध या जैन मंदिरों के खंडहर हो सकते हैं.

• रिपोर्ट में चारों कोनों पर मूर्तियों के साथ स्तंभ और साथ ही अरबी भाषा में पत्थर पर पवित्र छंद के शिलालेख का भी उल्लेख दिया गया है.

• एएसआई की रिपोर्ट पर उत्खनन से प्राप्त निशान के आधार पर कहा गया है कि तीन गुंबदों वाली बाबरी संरचना के नीचे पहले से एक संरचना मौजूद थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया था. इस फैसले में, अदालत ने 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच वितरित करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की रोजाना सुनवाई 06 अगस्त से शुरू और 16 अक्टूबर 2019 को खत्म हुई. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

पृष्ठभूमि: अयोध्या विवाद

अयोध्या को राम का जन्मस्थान माना जाता है. हिंदुओं का दावा है कि यहां एक मंदिर था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया था और एक मस्जिद का निर्माण किया गया था. वहीं, मुस्लिम समुदाय का दावा पूरी तरह से विपरीत है.

ऐसा माना जाता है कि मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने अयोध्या में मस्जिद का निर्माण किया था जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था. निर्मोही अखाड़ा ने साल 1959 में जमीन पर अधिकार दिए जाने के लिए याचिका दायर की. वहीं, मुसलमानों की ओर से उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के लिए मुकदमा कर दिया.

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए 30 अक्टूबर 1990 को पहली बार कारसेवा हुई थी. मस्जिद पर चढ़कर कारसेवकों ने झंडा फहराया था. इसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी.

हजारों कारसेवकों ने 06 दिसंबर 1992 को अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया. अस्थायी राम मंदिर बनाया गया. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने 30 सितंबर 2010 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा दिया गया. इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को मिला.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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