जाने क्या है चमकी बुखार? जानें लक्षण, बचाव और सावधानियां

Jun 18, 2019, 17:52 IST

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने हाल ही में मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) का दौरा किया था और ये भरोसा दिलाया कि इस बीमारी से निपटने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी.

Children In Bihar Suffering From Chamki Fever
Children In Bihar Suffering From Chamki Fever

बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, इस बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर करीब 100 पहुंच गई है. लगातार हो रही बच्चों की मौत का यह आंकड़ा पिछले 15 दिनों तक का है. मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के कारण भयावह स्थिति बनी हुई है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने हाल ही में मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) का दौरा किया था और ये भरोसा दिलाया कि इस बीमारी से निपटने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के प्रकोप को नियंत्रण करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए और प्रभावित इलाकों के सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाना चाहिए. साथ ही लोगों को बीमारी के बारे में जागरूक करने की जरूरत है.

बिहार सरकार द्वारा मुआवजे की घोषणा

बिहार सरकार ने चमकी बुखार में मरने वाले बच्चों के परिजनों को चार-चार लाख रुपए की मुआवजे की घोषणा की है. सरकार का ये भी कहना है कि इस बुखार से निपटने के लिए हरसंभव कदम उठाये गए हैं.

चमकी बुखार का प्रकोप

चमकी बुखार से पीड़ित मासूमों की सबसे ज्यादा मौतें रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में हुई हैं. वहीं चमकी बुखार अब मोतिहारी तक पहुंच गई है, जहां एक बच्ची बुखार से पीड़ित है. पूर्वी चम्पारण जिले में भी चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ती ही जा रही है.

मुजफ्फरपुर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम

बता दें कि लगातार हो रही मौतों के कारणों की जांच के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम मुजफ्फरपुर में है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इलाके में चिलचिलाती गर्मी, नमी और बारिश के ना होने के चलते लोग हाइपोग्लाइसीमिया (शरीर में अचानक शुगर की कमी) के कारण लोगों की मौत हो रही है. कुछ रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया था कि चमकी बुखार के कारण हो रही मौतों का कारण लीची भी हो सकती है. कहा जा रहा है कि मुजफ्फरपुर के आस-पास उगाई जाने वाली लीची में कुछ जहरीले तत्व हैं.

चमकी बुखार और इसका लक्षण

मस्‍तिष्‍क ज्‍वर (चमकी बुखार, दिमागी बुखार, जापानी इंसेफलाइटिस, नवकी बीमारी) एक गंभीर बीमारी है. इसका समय रहते इलाज करना चाहिए. यह बीमारी अत्‍यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलता है. इस बीमारी से 1 साल से 15 साल की उम्र के बच्‍चे ज्‍यादा प्रभावित होते हैं.

चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज़ बुखार चढ़ा ही रहता है. बदन में ऐंठन होती है. बच्चे दांत पर दांत चढ़ाए रहते हैं. कमज़ोरी के कारण से बच्चा बार-बार बेहोश होता है. यहां तक कि शरीर भी सुन्न हो जाता है. कई समय पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को चिकोटी काटेंगे तो उसे पता भी नहीं चलेगा. जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है. इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए आगे चलकर ये गंभीर हो सकती है.

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चमकी बुखार होने पर क्‍या करें और क्या ना करे?

तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को साफ पानी से पोछें और पंखा से हवा करें ताकि बुखार कम हो सके. बच्‍चे के शरीर से कपड़ें हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें. बच्‍चों को लगातार ओआरएस का धोल पिलाते रहें. तेज रोशनी से बचाने हेतु मरीज की आंखों को पट्टी से ढंके. बेहोशी या मिर्गी आने की अवस्‍था में मरीज को हवादार स्‍थान पर लिटाएं. चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट लिटाकर पास के नजदीकी अस्पताल में ले जाएं.

चमकी बुखार से पीड़ित इंसान के शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. डॉक्टरों के अनुसार चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों में शुगर की कमी देखी जाती है. इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर पर मीठा देते रहना चाहिए. बच्चों को थोड़-थोड़ी देर में लिक्विड फूड भी देते रहे ताकि उनके शरीर में पानी की कमी न हो.

बच्‍चे को खाली पेट लीची न खिलायें, अधपके या कच्‍चे लीची को खाने से बचें. बच्‍चे को कंबल या गर्म कपड़ों में न लपेटें, बच्‍चे की नाक न बंद करें. बच्‍चे की गर्दन झुकाकर न रखें.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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