चंद्रयान -2 चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया: जानें अब आगे क्या होगा?

Aug 21, 2019, 15:39 IST

इसरो के मुताबिक, यह अभियान सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर रोवर पहुंचाने वाला चौथा देश बन जाएगा. विक्रम लैंडर 07 सितंबर को 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा.

K Sivan conference
K Sivan conference

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 को चांद की पहली कक्षा में सफलतापूर्वक दाखिल करा दिया. इसके साथ ही इसरो के नाम एक और बड़ी उपलब्धि हो गई. इसरो के अनुसार, इस मिशन का अगला बड़ा कदम 02 सितंबर को होगा जब ऑर्बिटर से लैंडर निकल जाएगा.

इसरो ने बताया की चांद के 3 लाख 84 हजार किलोमीटर के सफर पर निकला चंद्रयान-2 अब अपने मिशन से मात्र 18 हजार किलोमीटर दूर है. इसरो के मुताबिक, यह अभियान सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर रोवर पहुंचाने वाला चौथा देश बन जाएगा.

21 अगस्त से 01 सितंबर

चंद्रयान-2 को अब 01 सितंबर तक चंद्रमा की चार और कक्षाओं को पार करना होगा. 28 अगस्त, 30 अगस्त तथा फिर 1 सितंबर को चंद्रयान-2 चौथी कक्षा पार करेगा. तब चांद से उसकी दूरी 18 हजार किलोमीटर से घटकर मात्र 100 किलोमीटर रह जाएगी.

02 सितंबर

02 सितंबर को चंद्रयान-2 मिशन लैंडर ऑर्बिटर से अलग होगा. इसरो ने बताया कि इसके बाद सारा ध्यान लैंडर पर केंद्रित हो जाएगा. विक्रम लैंडर अपने अंदर मौजूद प्रज्ञान रोवर को लेकर चांद की ओर बढ़ना शुरू करेगा.

03 सितंबर

इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा 03 सितंबर को विक्रम लैंडर की पूरी तरह से जांच किया जायेगा. इसके लिए 3 सेकंड के लिए उसका इंजन ऑन करेंगे तथा उसकी कक्षा में मामूली बदलाव करेंगे.

04 सितंबर

इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को 04 सितंबर को चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचाएंगे. इस कक्षा की एपोजी (चांद से कम दूरी) 35 किमी और पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) 97 किमी होगी. विक्रम लैंडर अगले तीन दिनों तक इसी कक्षा में चांद का चक्कर लगाता रहेगा. इसरो वैज्ञानिक इस दौरान विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सेहत की जांच समय-समय पर करते रहेंगे.

07 सितंबर

विक्रम लैंडर 07 सितंबर को 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा. यह इसरो वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम होगा. विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर उपस्थित दो क्रेटर मैंजिनस-सी एवं सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा. लैंडर दो मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा. चांद की सतह पर उतरने के लगभग 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा. इसी के द्वारा 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा. चांद की सतह पर प्रज्ञान रोवर चलना शुरू करेगा. प्रज्ञान रोवर एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर 14 दिनों तक यात्रा करेगा.

मिशन का उद्देश्य

इस मिशन का उद्देश्य चांद की सतह का नक्शा तैयार करना, खनिजों की मौजूदगी का पता लगाना, चंद्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन करना और किसी न किसी रूप में पानी की उपस्थिति का पता लगाना है. इस मिशन एक और मुख्य उद्देश्य चांद को लेकर हमारी समझ को और बेहतर करना और मानवता को लाभान्वित करने वाली खोज करना है.

पृष्ठभूमि

चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को धरती पर से अंतरिक्ष में रवाना किया गया था. इसका प्रक्षेपन रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच वेहिकल- मार्क 3 (जीएसएलवी एमके 3) से किया गया था. इस स्पेसक्राफ्ट के तीन भाग हैं. इस भाग में ऑर्बिटर, लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' शामिल हैं. चंद्रयान-2 ने 14 अगस्त 2019 को पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्र पथ पर आगे बढ़ना शुरू किया था.

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