DAC ने स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने हेतु 5,000 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी

Jan 22, 2020, 11:13 IST

भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और भारतीय उद्योग द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्मित की गईं अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां शामिल हैं. रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारतीय नौसेना के लिए भारत में छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को भी हरी झंडी दी गई है.

DAC approves procurement of Rs 5000 crore defence equipment to promote indigenisation in hindi
DAC approves procurement of Rs 5000 crore defence equipment to promote indigenisation in hindi

रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने हाल ही में देश में ही बने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा उपकरण खरीदने की मंजूरी दे दी है. इस रक्षा अधिग्रहण सौदे का उद्देश्य स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना है. इन उपकरणों में अत्‍याधुनिक इलेक्‍ट्रानिक युद्ध उपकरण शामिल है.

रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए डीएसी सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है. बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की. रक्षा उपकरणों के अलावा, डीएसी ने भारतीय रणनीतिक साझेदारों (एसपी) को शॉर्टलिस्ट करने की भी मंजूरी दी.

डीएसी की मंजूरी

• डीएसी की मंजूरी के अनुसार, भारतीय सेना रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिजाइन परिष्कृत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम (EWS) खरीदेगी.

• रक्षा मंत्रालय इन सभी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों को भारतीय उद्योग से ही खरीदेगा.

• भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और भारतीय उद्योग द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्मित की गईं अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां शामिल हैं.

• रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारतीय नौसेना के लिए भारत में छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को भी हरी झंडी दी गई है.

• इस मॉडल के अंतर्गत चयनित निजी कंपनियों को संभावित मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के साथ भागीदारी में भारत में पनडुब्बी और लड़ाकू विमानों जैसे सैन्य साजो-सामान के निर्माण में उतारा जा रहा है.

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इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्या है?

इलेक्ट्रॉनिक युद्ध एक आवृत्ति-आधारित युद्ध है जो दुश्मन की संचार या साइबर उपकरणों को निष्क्रिय करने या भ्रमित करने हेतु रेडियो तरंगों, लेजर रोशनी और प्राकृतिक ऊर्जा का उपयोग करता है. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के अंतर्गत दिष्ट ऊर्जा के द्वारा स्पेक्ट्रम का नियंत्रण, शत्रु पर आक्रमण करना, या स्पेक्ट्रम के माध्यम से किसी आक्रमण का प्रतिरोधित करना भी शामिल है. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का मुख्य उद्देश्य विरोधी को विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के आसानी से उपयोग करने एवं उसके लाभों से वंचित रखना है. यह युद्ध हवा, समुद्र, थल या अंतरिक्ष से लड़ा जा सकता है.

रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) के बारे में

रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की स्थापना सशस्त्र बलों की स्वीकृत आवश्यकताओं की शीघ्र ख़रीद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से साल 2001 में की गई थी. डीएसी की अध्यक्षता रक्षा मंत्री द्वारा की जाती है. डीएसी अधिग्रहण संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है.

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