डीएमआरसी को दुनिया की पहली ग्रीन मेट्रो प्रणाली घोषित किया गया है. मेट्रो स्टेशन, डिपो और आवासीय परिसर के लिहाज से दिल्ली मेट्रो पूरी तरह इको-फ्रेंडली है. प्रदूषण कम करने के मामले में दिल्ली मेट्रो पहले स्थान पर पहुंच गई.
डीएमआरसी ने इस मामले में हांगकांग और सिंगापुर को भी पीछे कर दिया. डीएमआरसी की अधिकांश इमारतों और इंस्टालेशन को ग्रीन प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है. सर्वे के अनुसार तीसरे चरण में टिकट वितरण, सौर ऊर्जा और वर्षा जल संचयन प्रणाली आदि के मामले में भी डीएमआरसी दुनिया की अन्य मेट्रो को पछाड़ देगी.
इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. प्रेम सी जैन के अनुसार भारत में 300 से अधिक मेट्रो स्टेशन ग्रीन बिल्डिंग के मानकों को पूरा करते हैं. इसमें भी डीएमआरसी दुनिया की पहली ग्रीन मेट्रो है जिसके न केवल स्टेशन बल्कि आवासीय परिसर भी ग्रीन सिस्टम पर खरे उतरते हैं.
फेज-3 में शुरू हुए 19 मेट्रो स्टेशनों के साथ ही डिपो, सब-स्टेशन और मेट्रो की दस आवासीय कॉलोनियों को भी इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की तरफ से सर्वोच्च रेटिंग ‘प्लेटिनम प्रदान की गई.
डीएमआरसी ने अगस्त 2017 तक 20 मेगावाट के सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. डॉ. मंगू सिंह ने 2.6 मेगावाट के सोलर पैनल का उद्घाटन भी किया. बिजली उत्पादन हेतु सोलर प्लांट डीएमआरसी ने विभिन्न मेट्रो स्टेशनों, आवासीय परिसरों, पार्किंग, डिपो आदि जगहों पर लगाए हैं.
दिल्ली मेट्रो में ऊर्जा की खपत-
डीएमआरसी को मेट्रो चलाने हेतु रोजाना 150 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है.
मेट्रो में प्रतिदिन 20 लाख यूनिट बिजली उपयोग की जाती है. जिसका मासिक खर्च लगभग 43 करोड़ रुपये आता है.
मेट्रो परिचालन में आने वाले खर्च का 38 फीसदी हिस्सा केवल बिजली पर खर्च होता है.
फेज-3 पूरा होने पर यह मांग 250 मेगावाट तक पहुंच जाएगी.
कॉर्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी-
दिल्ली मेट्रो ने कॉर्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को सालाना 5.72 लाख टन कम किया है.
द्वारका सेक्टर 21 मेट्रो स्टेशन 500 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करता है. इसका प्रयोग डीएमआरसी अपनी विभिन्न जरूरतों के लिए करता है.
ग्रीन सिस्टम हेतु मानक-
ग्रीन सिस्टम के लिए पांच चीजों का परीक्षण किया जाता है.
इनमे बिजली, पानी, वायु, लोग उस जगह पर कैसा महसूस करते हैं और ट्रांसपोर्टेशन आदि शामिल हैं.
टिप्पणी-
देश में बीते 40 वर्षों में ऊर्जा की मांग 700 फीसदी बढ़ गई है. वर्ष 2030 तक इसके तीन गुना होने का अनुमान है. ऊर्जा की सबसे अधिक मांग परिवहन विभाग में बढ़ी है. इसका एक अहम हिस्सा दिल्ली मेट्रो है.
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