ध्रुपद उस्ताद हुसैन सईदुद्दीन डागर का 31 जुलाई 2017 को लंबी बीमारी के बाद पुणे में निधन हो गया. वे 78 वर्ष के थे. उन्हें ध्रुपद परंपरा के सर्वश्रेष्ठ गायकों में से एक माना जाता है.
वे अपने प्रशंसकों के बीच सईद भाई के रूप में लोकप्रिय थे. वे पिछले कुछ समय से किडनी और इससे संबंधित अन्य बीमारियों से पीड़ित थे. वे प्रसिद्ध संगीतकार डागर परिवार से संबंधित थे. यह माना जाता है कि भारत में केवल यही एक परिवार है जो भारत के शास्त्रीय
संगीत की कला ध्रुपद की कला जानते हैं. संगीत की इस कला को जानने वाले वे इस परिवार की 19वीं पीढ़ी थे.
उस्ताद सईदुद्दीन के निधन के पश्चात् उनके बेटे नाफीसुद्दीन एवं अनीसुद्दीन डागर 20वीं पीढ़ी के रूप में परिवार की इस परंपरा का निर्वाह करेंगे.
ध्रुपद संस्कृत के ध्रुव (अचल) और पद (बोल) से मिलकर बना है. इसका उल्लेख तीसरी सदी में लिखे गये नाट्यशास्त्र में मिलता है.
ध्रुपद उस्ताद सईदुद्दीन डागर
• उनका जन्म वर्ष 1939 में राजस्थान के अलवर में हुआ था. उन्होंने छह वर्ष की आयु से संगीत सीखना आरंभ कर दिया था.
• उन्होंने अपने पिता उस्ताद हुसैनुद्दीन खान डागर से बनारस एवं अन्य शहरों में जाकर ध्रुपद संगीत की शिक्षा ली.
• वर्ष 1984 में पुणे आने के पश्चात् उन्होंने महाराष्ट्र में ध्रुपद को प्रसिद्धी दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
• वे ध्रुपद सोसाइटी जयपुर और पुणे के अध्यक्ष भी हैं.
• उन्होंने भारत के अतिरिक्त हॉलैंड, जर्मनी, फ्रांस एवं बेल्जियम में भी ध्रुपद से सम्बंधित वर्कशॉप और लेक्चर दिए हैं.
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