रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 20 अगस्त 2019 को भारतीय सेना को मोबाइल मेटालिक रैंप (एमएमआर) का डिजाइन सौंप दिया. डीआरडीओ ने डीआरडीओ भवन में आयोजित एक समारोह में भारतीय सेना को यह डिजाइन सौंपा. इस अवसर पर उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबू और डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी भी उपस्थित थे.
लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबू ने एमएमआर के डिजाइन की प्रशंसा की. उन्होंने डीआरडीओ द्वारा सेना की आवश्यकता को पूरा करने के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा की परिचालन में वृद्धि के लिए आवश्यक समय को कम किया.
मोबाइल मेटैलिक रैंप के बारे में
• इस मोबाइल मेटैलिक रैंप (एमएमआर) की भार वहन क्षमता 70 मीट्रिक टन है.
• एमएमआर को डीआरडीओ की एक प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है. इस प्रयोगशाला को अग्नि, विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केन्द्र (Fire, Explosive and Environment Safety) के रूप में जाना जाता है.
• यह सेना द्वारा बख्तरबंद वाहनों को जुटाने हेतु तथा समय को कम करने के लिए अनुमानित आवश्यकताओं पर आधारित है.
• यह सेना की वाहन, रैंप आर्म्ड और मैकेनाइज्ड यूनिट्स और आर्मी के फॉर्मेशन के लिए रणनीतिक गतिशीलता प्रदान करेगा.
• यह पोर्टेबल, डिजाइन में मॉड्यूलर है, जिसे आसानी से इकट्ठा या बनाया जा सकता है.
डीआरडीओ के बारे में
• रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों हेतु देश की अग्रणी संस्था है.
• यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में कार्य करता है.
• डीआरडीओ की स्थापना साल 1958 में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी.
• संस्थान की वर्तमान में अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में कार्यरत हैं.
• डीआरडीओ द्वारा मिसाइल, हथियार, हल्के लड़ाकू विमान, रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली इत्यादि विकसित किया गया है.
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