स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव सीके मिश्रा ने 7 जून 2017 को लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी), नई दिल्ली में “वात्सल्य- मातृ अमृत कोष” का उद्घाटन किया. यह एक राष्ट्रीय मानव (मातृ) दुग्ध बैंक और दुग्धपान परामर्श केंद्र है.
यह समूचे उत्तर भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा राष्ट्रीय मानव (मातृ) दुग्ध बैंक एवं दुग्धपान परामर्श केंद्र होगा. इस बैंक के द्वारा दिल्ली के आस-पास के सभी नवजात बच्चों को जीवन रक्षक दुग्ध की उपलब्धता से विषम परिस्थितियों में लाभ होगा.
इस अवसर पर नॉर्वे के भारत में राजदूत नील्स रैंगनर कमस्वाग भी उपस्थित थे. वात्सल्य- मातृ अमृत कोष की स्थापना नॉर्वे की सरकार, ओस्लो विश्वविद्यालय और निपी – नॉर्वे इंडिया पार्टनर इनीशियेटिव के सहयोग से हुई है.
देश में मातृ दुग्ध के प्रति लोगों में जागरुकता का अभाव है जबकि माता का दूध बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने का सबसे अच्छा स्त्रोत है. इस बारे में जागरुकता फैलाने के लिए माँ- मदर्स अबसल्यूट अफेक्शन कार्यक्रम शुरू किया गया है.
मातृ दुग्ध की उपलब्धता से उन नवजात शिशुओं के जीवित रहने की दर को बढ़ाई जा सकेगी जिनकी माताएं पर्याप्त दुग्धपान कराने में सक्षम नहीं हैं. इस केंद्र की स्थापना के बाद इस तरह के और भी केंद्र शुरू होने की प्रेरणा मिलेगी. इस अवसर पर लेडी हार्डिंग मेडीकल कॉलेज के निदेशक प्रो. जगदीश चंद्र और अरविंद सलिल और संकाय के कई वरिष्ठ सदस्यों के अतिरिक्त मंत्रालय के कई अधिकारी, स्वास्थ्य विशेषज्ञ उपस्थित थे.
एक शोध के मुताबिक देश के 60 फीसदी बच्चों को जन्म के बाद शुरुआती दिनों में मां का दूध नहीं मिल पाता. ऐसे बच्चों के कुपोषित होने का खतरा अधिक रहता है. ऐसे बच्चों को मां का दूध उपलब्ध कराने के मकसद से दिल्ली में खोला गया यह बैंक अपनी महती भूमिका निभाने वाला है.
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