जानिये अफगानिस्तान में तालिबान राज का भारत पर क्या हो सकता है असर
अफगानिस्तान के अधिग्रहण के साथ ही, तालिबान अब भारत के जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में नियंत्रण रेखा से केवल 400 किमी. दूर हैं.

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने करीबी सहयोगियों के साथ ताजिकिस्तान भाग गये और उनके जाने के बाद 15 अगस्त, 2021 को तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में अपनी सत्ता कायम कर ली है.
काबुल में वैध शासन के पतन के बाद से पूरी तरह से अराजकता फैली है और काबुल में हामिद करजई हवाई अड्डे के माध्यम से अफगानिस्तान से भागने के लिए हजारों लोग एकत्रित हो रहे हैं. अमेरिकी सेना ने काबुल हवाई अड्डे का कार्यभार संभाल लिया है, जहां से सभी नागरिक वाणिज्यिक उड़ानें निलंबित कर दी गई हैं क्योंकि दुनिया के अनेक देश अपने नागरिकों की निकासी जारी रख रहे हैं.
भारत सरकार ने एयर इंडिया को काबुल से आपातकालीन निकासी के लिए दो विमानों को स्टैंडबाय मोड पर रखने के लिए भी कहा है. एयर इंडिया की उड़ान AI-243 से 15 अगस्त को अफगानिस्तान से 129 फंसे हुए यात्रियों को भारत वापस आये हैं. फिलहाल, काबुल में सभी वाणिज्यिक उड़ानें निलंबित कर दी गई हैं.
अफगानिस्तान में तालिबान के पुनरुत्थान का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के पतन के साथ, अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी सुनिश्चित हो गई है. तालिबान लड़ाकों के राष्ट्रपति भवन में घुसने और शहर पर कब्जा करने के बाद से, हजारों लोग राजधानी से भाग रहे हैं.
- जिस क्षण अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ताजिकिस्तान भाग गए, ठीक उसी क्षण काबुल में वैध सरकार का पतन हो गया है.
- तालिबान का अब लगभग 80 प्रतिशत पर्वतीय भूमि क्षेत्र वाला राष्ट्र, विशेष रूप से उत्तर और पश्चिम क्षेत्रों पर नियंत्रण है.
अफगानिस्तान में तालिबान के उदय का भारत पर प्रभाव
- जम्मू-कश्मीर से तालिबान की नजदीकी
• अफगानिस्तान के अधिग्रहण के साथ, तालिबान अब भारत के जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में नियंत्रण रेखा से केवल 400 किमी दूर है.
• जम्मू और कश्मीर से तालिबान की निकटता उन्हें भारतीय क्षेत्र में और अधिक आतंकवादी गतिविधियां करने की स्थिति सुलभ कर देती है.
• तालिबान ने अफगानिस्तान के बदख्शां प्रांत पर कब्जा कर लिया है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सीमा पर है.
- आतंकवाद में वृद्धि
• संयुक्त राष्ट्र की हाल ही की रिपोर्टों में यह कहा गया है कि, जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी समूह तालिबान के साथ काम कर रहे हैं
• तालिबान के पुनरुत्थान का मतलब अब, अफगानिस्तान में इन उग्रवादी समूहों के लिए प्रशिक्षण सुविधाओं और ठिकानों का विस्तार भी हो सकता है.
- तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन
• रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है और यह भारत के लिए बिलकूल भी अनुकूल नहीं होगा.
• तालिबान ने ऐसे सभी जिलों पर भी नियंत्रण कर लिया है जो ताजिमकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान सहित अन्य देशों की सीमा से लगे हैं.
- चीन की चुनौती
• चीन ने कथित तौर पर यह कहा है कि, वह अफगानिस्तान के तालिबान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करने को तैयार है, और यह भी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है.
• चीन भी कथित तौर पर अफगानिस्तान में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है और तालिबान अपनी मजबूत स्थिति को बनाए रखना चाहेगा, जिसके लिए उसे चीनियों के सहयोग की आवश्यकता होगी.
- क्या अफगानिस्तान में भारत का निवेश व्यर्थ हो जायेगा?
• भारत ने 9/11 के बाद से अफगानिस्तान में 02 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है. अफगानिस्तान में भारत द्वारा किए गए कुछ प्रमुख निवेशों में नया संसद भवन, पश्चिमी अफगानिस्तान में सलमा बांध और डेलाराम-जरंज राजमार्ग शामिल हैं.
• यहां तक कि ईरान के चाबहार बंदरगाह में किया गया निवेश भी अब, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अधिकार करने से बेकार साबित हो सकता है.
• चाबहार बंदरगाह भारत को कुछ हद तक लाभ भी दे सकता है, क्योंकि तालिबान पूरी तरह से पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहना चाहेगा.
तालिबान के साथ भारत का इतिहास
- भारत ने ईरान और रूस के साथ तालिबान विरोधी उत्तरी गठबंधन को वित्त पोषित किया था.
- तालिबान ने उन आतंकवादियों को भी अपना समर्थन दिया था, जिन्होंने इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 814 को अपहृत किया था, जो नेपाल के काठमांडू से दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रास्ते में थी. 24 दिसंबर, 1999 को इस उड़ान का अपहरण कर लिया गया था और तालिबान के नियंत्रण वाले कंधार में उतरने से पहले इस अपहृत जहाज को कई स्थानों पर उड़ाया गया था.
अब भारत के लिए सबसे अच्छी नीति क्या हो सकती है?
- भारत के लिए इस समय सबसे कारगर नीति यह होगी कि, भारत शांत और संतुलित रहे और यह देखे कि अफगानिस्तान में स्थिति कैसे बदल रही है.
- सभी प्रमुख पश्चिमी देशों ने तालिबान के अधिग्रहण की निंदा की है.
- तालिबान के प्रवक्ता ने कथित तौर पर यह कहा है कि, उसे उम्मीद है कि भारत अपना रुख बदलेगा और उनके समूह को अपना समर्थन देगा.
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