केंद्र सरकार ने 29 जुलाई 2021 को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर देश के 14 बाघ रिजर्व को ‘सीए-टीएस’ मान्यता प्रदान की. सीए-टीएस या संरक्षण आश्वासित-बाघ मानक, वैश्विक रूप से स्वीकृत व्यवस्था है, जो बाघों के प्रबंधन के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यवहार एवं मानदंड स्थापित करता है तथा मानक प्रगति के लिए आकलन को प्रोत्साहित करता है.
देश के जिन 14 बाघ रिजर्व को यह मान्यता दी गई है उनमें मानस टाइगर रिजर्व, काजीरंगा टाइगर रिजर्व और ओरांग टाइगर रिजर्व (तीनों असम में), मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व और पन्ना टाइगर रिजर्व शामिल हैं.
महाराष्ट्र में पेंच टाइगर रिजर्व, बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, उत्तर प्रदेश में दुधवा टाइगर रिजर्व, केरल में परमबीकुलम टाइगर रिजर्व, तमिलनाडु में मुदुमलाई टाइगर रिजर्व और अनामलाई टाइगर रिजर्व, कर्नाटक में बंदीपुर टाइगर रिजर्व और पश्चिम बंगाल में सुंदरवन टाइगर रिजर्व को यह मान्यता दी गई है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने क्या कहा?
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस अवसर पर कहा कि बाघों की आबादी एक बखूबी संतुलित पारिस्थितिकी का संकेतक है। बाघ दिवस के अवसर पर, हम ना सिर्फ अपने बाघों को बचा रहे हैं बल्कि पारिस्थितिकी और अपने वनों की भी रक्षा कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इन 14 टाइगर रिजर्व के अलावा तीन अन्य भी हैं जिनके लिए हम सीए-टीएस मान्यता हासिल करना चाहते हैं. हम अपने सभी 51 टाइगर रिजर्व के लिए यह मान्यता और उन्हें संरक्षित बनाए रखना चाहते है.
बाघों के संरक्षण से पूरे इकोसिस्टम का संरक्षण
गैर सरकारी संस्था वर्ल्ड वाइड फंड, इंडिया के अनुसार सीए-टीएस को बाघों की आबादी वाले सात देशों में 125 स्थानों पर क्रियान्वित किया जा रहा है. पर्यावरण मंत्री ने ‘तेंदुओं, सह-परभक्षियों और शाकभक्षियों की स्थिति-2018’ शीर्षक रिपोर्ट भी जारी की. उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट इस तथ्य का प्रमाण है कि बाघों के संरक्षण से पूरे इकोसिस्टम का संरक्षण होता है.
वन्यजीवों की रक्षा में दिन-रात मेहनत
भारत सरकार ने लॉकडाउन के दौरान वन और वन्यजीव संरक्षण को 'आवश्यक सेवाओं' के रूप में वर्गीकृत करने के लिए एक सक्रिय कदम उठाया. देश के वनों से जुड़े बल कोविड -19 महामारी के दौरान भी जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा में दिन-रात मेहनत करते रहे.
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