भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ओडिशा के बालासोर में भारत के पहले थंडरस्टॉर्म रिसर्च टेस्टबेड को स्थापित करने की योजना बना रहा है.
IMD अपनी इस परियोजना को लागू करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर काम करेगा.
यह परियोजना अगले पांच वर्षों में पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है.
उद्देश्य
ओडिशा और पूर्वी राज्यों में बिजली के झटके के कारण होने वाले जान-माल के घातक नुकसान को कम करना इस थंडरस्टॉर्म रिसर्च टेस्टबेड का उद्देश्य होगा.
मुख्य विशेषताएं
• बालासोर में बनने वाले इस IMD के अवलोकन केंद्र में नई बिजली अनुसंधान सुविधा स्थापित की जाएगी.
• यह परियोजना अभी प्रारंभिक चरण में है और एक बार अंतिम परियोजना तैयार होने के बाद, अनुसंधान इकाई ओडिशा, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में नॉर्थवेस्टर्न थंडरस्टॉर्म का अध्ययन करने के लिए विंड प्रोफाइलर, माइक्रोवेव रेडियोमीटर, रडार और स्वचालित मौसम स्टेशनों जैसी संवर्धित अवलोकन प्रणालियों से सुसज्जित होगी.
• IMD, DRDO और ISRO की बालासोर में पहले से ही अपनी अनुसंधान इकाइयां हैं. अब वे उत्तरी- ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे आस-पास के क्षेत्रों पर निगरानी करने के लिए ऑब्जर्वेटरीज़/ वेधशालाओं की स्थापना करेंगे और थंडरस्टॉर्म पर अध्ययन किए जाएंगे.
• शीर्ष शैक्षणिक संस्थान जैसेकि IIT, खड़गपुर, IIT, भुवनेश्वर, NIT, राउरकेला, फकीर मोहन विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची और महाराजा श्रीराम चंद्र भंजा देव विश्वविद्यालय, बारिपदा में भी ऐसे डाटा पर शोध करने के लिए शामिल होंगे जो डाटा उन्हें टेस्टबेड द्वारा उन्हें साझा किया जाएगा.
IMD के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने यह खुलासा किया कि, भोपाल के पास एक अपनी किस्म का का पहला मानसून टेस्टबेड बनाने की भी योजना है. ये दोनों अनुसंधान इकाइयां वर्तमान में योजना बनाने के चरण में हैं और इनके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट्स बनाई जा रही हैं.
पृष्ठभूमि
IMD के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा के अनुसार, वर्ष, 2011 और फरवरी, 2020 के बीच, ओडिशा में बिजली गिरने के कारण लगभग 3,218 लोगों की मृत्यु हो गई थी.
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