ईरान बना SCO का नया स्थायी सदस्य, पीएम मोदी ने दी बधाई, जानें क्या है इसके मायने

ईरान औपचारिक तौर पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का पूर्ण सदस्य बन गया है. अभी तक एससीओ में आठ सदस्य देश शामिल थे. एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए पीएम मोदी ने समूह के नए सदस्य के रूप में ईरान का स्वागत किया. जानें ईरान के इस समूह में शामिल होने के क्या है मायने. 

Bagesh Yadav
Jul 5, 2023, 13:43 IST
ईरान बना SCO का नया स्थायी सदस्य
ईरान बना SCO का नया स्थायी सदस्य

ईरान औपचारिक तौर पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का पूर्ण सदस्य बन गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, ईरान को शुभकामनाएं दी है. गौरतलब है कि ईरान ने 15 साल पहले एससीओ में शामिल होने का अनुरोध किया था. 

ईरान, भारत के विस्तारित पड़ोसी देश में से एक है. पिसेम मोदी ने एससीओ के वर्चुल शिखर सम्मेलन में ईरान का स्वागत किया, इस वर्ष एससीओ के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता भारत कर रहा है.   

9वां सदस्य बना ईरान:

ईरान अब शंघाई सहयोग संगठन का स्थायी सदस्य बन गया है. अभी तक एससीओ में आठ सदस्य देश शामिल थे, जिसमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान और चार मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल है. 

पीएम मोदी ने ईरान का किया स्वागत:

एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए पीएम मोदी ने समूह के नए सदस्य के रूप में ईरान का स्वागत किया. इस बैठक में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने भाग लिया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि मैं राष्ट्रपति रायसी और ईरान के लोगों को बधाई देता हूं और बेलारूस की एससीओ सदस्यता के लिए दायित्व पत्र पर हस्ताक्षर करने का भी स्वागत करते हैं'      

पुतिन और जिनपिंग ने भी लिया भाग:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुए शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और समूह के अन्य राष्टाध्यक्ष भी इस बैठक में शामिल हुए. 

ईरान और एससीओ:

एससीओ में ईरान की पूर्ण सदस्यता का मामला कई वर्षों से अधर में लटका हुआ था. वर्ष 2016 में, ईरान द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी शक्तियों के साथ परमाणु समझौते (जेसीपीओए) पर हस्ताक्षर करने के एक साल बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, 'हम मानते हैं कि ईरान की परमाणु समस्या हल होने और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध हटने के बाद, कोई बदलाव नहीं हुआ है'.    

ईरान के शामिल होने के क्या है मायने:

हाल के समय में वैश्विक स्तर पर कई भू-राजनीतिक परिवर्तन हुए है. फगानिस्तान से अमेरिका के चले जाने के बाद से मध्य एशियाई क्षेत्र में चीनी प्रभाव और निवेश को बल मिला है. चीन ने पाकिस्तान को अपने रणनीतिक चक्र में मजबूती से खींच लिया है साथ ही वैश्विक मंच पर और अधिक मुखर हो गया है. 

ईरान के इस समूह में शामिल होने से मध्य एशियाई क्षेत्र में इसका प्रभाव और मजबूत होगा. इस साल मार्च में ईरान ने  अपने पुराने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी, सऊदी अरब के साथ राजनयिक संबंधों को फिर से स्थापित कर लिया है. इसका आशय यह भी है कि पश्चिमी देशों से बिगड़े रिश्तों को काउंटर करने के लिए ईरान अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने के लिए तत्पर है साथ ही एससीओ के मंच को एक विशेष अवसर के रूप में देख रहा है.     

ईरान की सदस्यता भारत की दृष्टि से:

एससीओ में हो रहे बदलावों के कारण भारत को एक नाजुक संतुलन बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. भारत और अमेरिका ने अपनी साझेदारी और सहयोग को और मजबूत किया है. 

ईरान के साथ भी भारत के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. भारत और ईरान के बीच वाणिज्यिक संबंधों पर पारंपरिक रूप से ईरानी कच्चे तेल के आयात का प्रभुत्व रहा है. मई 2019 तक ईरान, भारत के शीर्ष ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं में से एक था.

2 मई, 2019 के बाद प्रतिबंधों पर अमेरिकी छूट की समाप्ति के बाद, भारत ने ईरान से कच्चे तेल के आयात को निलंबित कर दिया है. ऐसे में भारत को एससीओ में संतुलन की स्थिति बनाये रखना होगा. भारत वर्ष 2017 में शंघाई सहयोग संगठन सदस्य बना था इसके अलावा पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य उसी वर्ष बना था.       

शंघाई सहयोग संगठन:

शंघाई सहयोग संगठन का गठन वर्ष 2001 में छह सदस्य देशों के साथ किया गया था. इसका प्राथमिक उद्देश्य मध्य एशियाई क्षेत्र में आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद पर अंकुश लगाने के प्रयासों के लिए क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाना था. 

भारत वर्ष 2017 में शंघाई सहयोग संगठन सदस्य बना था इसके अलावा पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य उसी वर्ष बना था.        

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