एमडीएच (MDH) के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 03 दिसंबर 2020 को निधन हो गया. इससे पहले धर्मपाल गुलाटी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके थे पर कोविड को मात देने के बाद 03 दिसंबर को उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उनका निधन हो गया.
'दादजी', 'मसाला किंग', 'किंग ऑफ स्पाइसेज' और 'महाशयजी' के नाम से मशहूर थे. मसाले का कारोबार धीरे-धीरे इतना फैलता गया कि धर्मपाल गुलाटी अपने उत्पादों का ऐड खुद ही करते थे. उन्हें अक्सर टीवी पर अपने मसालों के बारे में बताते देखा जाता है. उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज ऐड स्टार माना जाता था.
पद्मविभूषण से सम्मानित किए जा चुके हैं
व्यापार और उद्योग खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल महाशय धर्मपाल गुलाटी को पद्मविभूषण से सम्मानित किया था.
Mahashay Dharmpal of MDH Spices passes away at 98 pic.twitter.com/Ov8aisY8xr
— ANI (@ANI) December 3, 2020
धर्मपाल गुलाटी के बारे में
• महाशय धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था और यहीं से उनके व्यवसाय की नीव पड़ी थी.
• उनकी कंपनी की शुरुआत एक छोटी सी दुकान से हुई, जिसे उनके पिता ने विभाजन से पहले शुरू किया था. हालांकि 1947 में देश के विभाजन के समय उनका परिवार दिल्ली आ गया था.
• उन्होंने दिल्ली पहुंचने के बाद एक टांगा खरीदा, जिसमें वह कनॉट प्लेस और करोल बाग के बीच यात्रियों को लाने और ले जाने का काम करते थे.
• उन्होंने गरीबी से तंग आकर अपना तांगा बेच दिया और साल 1953 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर लिया.
• उन्होंने इसके बाद महाशिया दी हट्टी (MDH) नाम का दुकान खोला और मसालों का व्यापार का व्यापार शुरू किया. जैसे-जैसे लोगों को पता चला कि सियालकोट की देगी मिर्च वाले अब दिल्ली आ गए हैं, उनका कारोबार फैलता चला गया.
• यह व्यवसाय केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी फैल गया. इससे गुलाटी भारतीय मसालों के एक वितरक और निर्यातक बन गए.
• धर्मपाल गुलाटी कक्षा पांचवीं तक पढ़े थे. आगे की पढ़ाई के लिए वह स्कूल नहीं गए.
• गुलाटी की कंपनी ब्रिटेन, यूरोप, यूएई, कनाडा आदि सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भारतीय मसालों का निर्यात करती है.
• एमडीएच मसाला के मुताबिक, धर्मपाल गुलाटी अपने वेतन की लगभग 90 प्रतिशत राशि दान करते थे.
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