प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 28 दिसंबर 2016 को केंद्रीय कैबिनेट ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट रखने पर दंड दिए जाने के अध्यादेश को मंजूरी प्रदान की. इस अध्यादेश द्वारा 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोटों के प्रति सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक का दायित्व समाप्त हो जायेगा.
कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रपति से एक अध्यादेश जारी करने की सिफारिश की गयी जिससे कि पुराने नोट पर आरबीआई के दायित्व को समाप्त किया जा सके.
अध्यादेश के प्रावधान
• किसी व्यक्ति के पास 500, 1000 रुपये के 10 से अधिक नोट पाए जाने पर सज़ा संभव होगी.
• पुराने नोट पाए जाने पर जेल का प्रावधान साफ़ नहीं किया गया लेकिन जब्त की गयी रकम का पांच गुना जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
• यह सज़ा 31 मार्च 2017 के बाद से पाए जाने वाले नोटों पर लागू होगी.
• तय सीमा से अधिक नोट रखना आपराधिक मामलों की श्रेणी में माना जायेगा तथा स्थानीय न्यायधीश के पास इस पर कार्रवाई का अधिकार होगा.
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवम्बर 2016 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में यह साफ़ कहा था कि 30 दिसम्बर 2016 तक 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बदलने से चूकने वाले लोगों के लिए एक अंतिम अवसर दिया जायेगा. प्रधानमंत्री ने कहा था कि लोग भारतीय रिज़र्व बैंक में जाकर एक घोषणा पत्र के साथ 31 मार्च 2017 तक पैसे जमा करा सकते हैं.
गौरतलब है कि इससे पूर्व वर्ष 1978 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार द्वारा 1,000, 5000 और 10,000 का नोट बंद करने के बाद सरकार की देनदारी को समाप्त करने के लिए इसी तरह का अध्यादेश लाया गया था.

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