इराकी मूल की यजीदी महिलाओं- नादिया मुराद (23) और लामिया अजी बशर (18) को यूरोपीय संसद ने 27 अक्टूबर 2016 को प्रतिष्ठित सखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया. यह पुरस्कार मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता संबंधी सामाजिक कार्यों हेतु प्रदान किया जाता है.
दोनों महिलाओं को एस एंड डी और यूरोपीय संसद में उदार एएलडीई (ALDE) समूह द्वारा मनोनीत किया गया. नादिया मुराद बसी और लामिया अजी-बशर उन हज़ारों यज़ीदी लड़कियों में शामिल थीं जिन्हें आईएस ने यौन ग़ुलाम बनाने के लिए 2014 में अग़वा कर लिया था. चरमपंथी उन्हें मोसुल ले गए जहां उन पर अत्याचार किए गए और उनका बलात्कार किया गया.
मुराद का अपहरण सिंजर के पास एक गांव कोचो से हुआ तब वो 19 साल की थीं. मुक्त होने के बाद से वह दोनों मानवाधिकारों हेतु कार्यरत हैं. साथ ही वकालत के माध्यम से यज़ीदी समुदाय हेतु अभियान भी चला रही हैं.
आइएस की कैद से भागकर नादिया जर्मनी पहुंची. एक विस्फोट में लामिया की एक आंख चली गई. उसके बाद दोनों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को हालात से अवगत कराया.
यजीदी एक अलग समुदाय है जिन्हें कट्टरपंथी सुन्नी दानवों की पूजा करने वाला माना जाता है. इसी कारण आइएस आतंकियों ने 2014 में यजीदी समुदाय के पुरुषों को मार डाला. महिलाओं को यौन गुलाम बनाकर रखा.
सखारोव पुरस्कार के बारे में-
- सखारोव पुरस्कार समारोह 14 दिसंबर को स्ट्रासबर्ग में आयोजित किया जाएगा.
- सखारोव पुरस्कार रूसी क्रांतिकारी वैज्ञानिक आंद्रेई सखारोव के नाम पर दिया जाता है. जिन्होने मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया.
- सखारोव पुरस्कार, आधिकारिक तौर पर विचारों की स्वतंत्रता के लिए जाना जाता है. यूरोपीय संसद द्वारा यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है.
- इसका शुभारम्भ दिसंबर 1988 में किया गया.
- 2015 में रेफ बदावी को सखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया
- पुरस्कार के तहत 50000 यूरो प्रदान किया जाता है.
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