अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर पाया है. नासा के अनुसार, उसके लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) को चंद्रमा पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा मिला है.
इसकी तस्वीर भी नासा ने ट्वीट की है. लैंडर ने 07 सितंबर 2019 को निर्धारित समय से कुछ समय पहले संपर्क खो दिया था. नासा ने अपने लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर द्वारा क्लिक की गई छवियों को भी जारी किया.
नासा द्वारा जारी तस्वीर में यान से संबंधित मलबे वाला क्षेत्र को दिखाया गया है, जिसमें कई किलोमीटर तक लगभग एक दर्जन से अधिक स्थानों पर मलबा बिखरा हुआ दिखाई पड़ रहा है. नासा के मुताबिक, भारतीय इंजीनियर शनमुगा सुब्रमण्यन ने एजेंसी को मलबे से जुड़े सबूत दिए है.
नासा ने विक्रम की छवि जारी की
नासा ने एक बयान जारी किया. नासा ने उस बयान में कहा है कि तस्वीर में नीले और हरे डॉट्स के माध्यम से विक्रम लैंडर के मलबे वाला क्षेत्र दिखाया गया है. यह साइट और संबंधित मलबे के क्षेत्र को दर्शाता है.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य
• नासा ने एक बयान में कहा है कि उसने 26 सितंबर 2019 को क्रैश साइट की एक तस्वीर जारी की थी और लोगों को विक्रम लैंडर के संकेतों की खोज करने के लिए आमंत्रित किया था.
• इसके बाद शनमुगा सुब्रमण्यन नाम के एक व्यक्ति ने मलबे की एक सकारात्मक पहचान के साथ एलआरओ परियोजना से संपर्क किया.
• शानमुगा ने मुख्य क्रैश साइट के उत्तर-पश्चिम में करीब 750 मीटर की दूरी पर स्थित मलबे की पहचान की थी.
• उन्होंने पहले नवंबर में मोज़ेक (1.3 मीटर पिक्सल, 84° घटना कोण) की खोज की थी.
शनमुगा ने मलबे का पता कैसे लगाया?
रिपोर्ट के अनुसार, शनमुगा सुब्रमण्यन ने विक्रम लैंडर के अंतिम ज्ञात वेग और स्थिति की समीक्षा की. सुब्रमण्यन ने मलबे की एक सकारात्मक पहचान के साथ एलआरओ परियोजना से संपर्क किया. शानमुगा द्वारा मुख्य दुर्घटनास्थल के उत्तर-पश्चिम में मलबे को पहले मोज़ेक में एक एकल उज्ज्वल पिक्सेल पहचान की थी.
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चंद्रयान-2 के बारे में
चंद्रयान-2 को इसरो ने 22 जुलाई 2019 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस स्टेशन से लॉन्च किया था. चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे. विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर और ऑर्बिटर. विक्रम लैंडर की 07 सितंबर 2019 को सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी, लेकिन विक्रम ने हार्ड लैंडिंग की.
इसके बाद विक्रम लैंडर का भूमिगत स्टेशन से संपर्क टूट गया. चूंकि प्रज्ञान रोवर भी विक्रम लैंडर के अंदर था. इसलिए वे भी अंतरिक्ष में खो चुका है. हालांकि, ऑर्बिटर सुरक्षित है और काम कर रहा है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है. इसरो के अनुसार ऑर्बिटर सात साल तक काम करता रहेगा.
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