भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने एक बड़ा फैसला करते हुए इस साल रणजी ट्रॉफी नहीं कराने का फैसला किया है. 87 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब फर्स्ट क्लास घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का आयोजन नहीं हो सकेगा.
बीसीसीआई ने सैयद मुश्ताक अली टूर्नामेंट के बाद विजय हजारे ट्रॉफी को कराने का फैसला किया है. बीसीसीआई ने फैसला लिया है कि इस बार रणजी ट्रॉफी का आयोजन करना संभव नहीं है. बोर्ड सचिव जय शाह ने प्रदेश ईकाइयों को लिखे पत्र में यह जानकारी दी.
वसीम जाफर ने क्या कहा था?
बता दें कि कुछ समय पहले भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और घरेलू दिग्गज वसीम जाफर ने कहा था कि कोविड-19 (COVID-19) महामारी के मद्देनजर विजय हजारे, दलीप और देवधर ट्रॉफी को इस सत्र में रद्द कर दिया जाना चाहिए और इसके बजाय उस समय का उपयोग रणजी ट्रॉफी का आयोजन किया जाना चाहिए. लेकिन अब बीसीसीआई ने फैसला किया है कि इस सत्र में विजय हजारे ट्रॉफी को ही कराया जाएगा.
यह फैसला क्यों लिया गया?
विजय हजारे ट्रॉफी के अलावा बीसीसीआई महिला सीनियर वनडे ट्रॉफी और अंडर-19 क्रिकेट में वीनू मांकड़ वनडे ट्रॉफी का आयोजन भी कराएगा. बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने राज्य संघों को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि यह फैसला राज्य संघों से मिले फीडबैक और कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए यह फैसला किया है.
रणजी ट्रॉफी: एक नजर में
रणजी ट्रॉफी भारत की एक घरेलू क्रिकेट प्रतियोगिता है. रणजी ट्रॉफी में एक घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट चैम्पियनशिप क्षेत्रीय क्रिकेट संघों का प्रतिनिधित्व टीमों के बीच भारत में खेला जाता है. प्रतियोगिता वर्तमान में, 37 टीमों के होते भारत और दिल्ली (जो एक केंद्र शासित प्रदेश है) में 28 राज्यों में से 21 के साथ कम से कम एक प्रतिनिधित्व कर रही है. प्रतियोगिता पहली बार 1934-35 में जगह लेने के साथ जुलाई 1934 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की एक बैठक के बाद के रूप में भारत की क्रिकेट चैम्पियनशिप शुरू किया गया था. ट्रॉफी पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा दान किया गया था.
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