रिलायंस ने संयुक्त राज्य अमेरिका से 'कार्बन-न्यूट्रल ऑयल' की दुनिया की पहली खेप मंगाई है. यह कदम तब उठाया गया है जब यह कंपनी वर्ष, 2035 तक एक शुद्ध शून्य कार्बन कंपनी बनना चाहती है.
अमेरिकी आपूर्तिकर्ता ने एक बयान में यह कहा कि, रिलायंस को 2 मिलियन बैरल खेप मिली है. ऑक्सी लो कार्बन वेंचर्स (OLCV), जो यूएस ऑयल मेजर ऑक्सिडेंटल की डिवीजन है, ने यह कार्बन-न्यूट्रल तेल रिलायंस को दिया था.
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस कंपनी, गुजरात के जामनगर में प्रति वर्ष 68.2 मिलियन टन की क्षमता के साथ दुनिया का सबसे बड़ा एकल-स्थान तेल शोधन परिसर संचालित करती है.
महत्व
यह सौदा ऊर्जा उद्योग का पहला प्रमुख पेट्रोलियम शिपमेंट है, जिसके लिए समस्त क्रूड लाइफ साइकिल से जुड़े ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन, अंत उत्पादों के दहन के माध्यम से अच्छी तरह से, ऑफसेट किया गया है. इसे मैक्वेरी ग्रुप के कमोडिटीज और ग्लोबल मार्केट्स ग्रुप (मैक्वेरी) के संयोजन से व्यवस्थित किया गया था.
तेल कार्बन-न्यूट्रल कैसे होगा?
ऑक्सी लो कार्बन वेंचर्स और मैकक्वेरी कच्चे तेल के उत्पादन, वितरण और शोधन के साथ जुड़े कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ऑफसेट करेगा और कार्बन ऑफसेट क्रेडिट की निवृत्ति के माध्यम से परिणामी उत्पाद का उपयोग करेगा. इससे तेल 'कार्बन-न्यूट्रल’ हो जाएगा.
मुख्य विशेषताएं
• एक बहुत बड़ा क्रूड कैरियर (VLCC) सी-पर्ल जिसमें कार्बन-तटस्थ/ न्यूट्रल तेल था, उसने 28 जनवरी को जामनगर में तेल उतारता है.
• ऑक्सी लो कार्बन वेंचर्स ने यह कहा है कि, तेल का निर्माण अमेरिकी पर्मियन बेसिन में ऑक्सीडेंटल द्वारा किया गया था और भारत में रिलायंस को दिया गया था.
• मैकक्वेरी ने ऑफसेट आपूर्ति और निवृत्ति के लिए पूरी व्यवस्था की थी.
• यह सौदा जलवायु-अनुकूलित कच्चे तेल के लिए एक नए बाजार के निर्माण में पहला कदम है.
• यह एक तत्काल निष्पादन योग्य समाधान भी है जो लंबी अवधि के लिए, औद्योगिक पैमाने पर डिकार्बोनाइजेशन नीतियों में निवेश को बढ़ावा देने में मदद करता है.
पृष्ठभूमि
रिलायंस के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने जुलाई, 2020 में रिलायंस को वर्ष, 2035 तक एक शुद्ध कार्बन शून्य कंपनी में बदलने की योजना का खुलासा किया था. ऑक्सीडेंटल, दूसरी ओर, ऐसी पहली अमेरिका-आधारित अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा कंपनी है, जिसने अपने उत्पादों के उपयोग के माध्यम से वर्ष, 2050 तक नेट-जीरो GRG उत्सर्जन प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा की घोषणा की है.
यह कंपनी पर्मियन बेसिन में 40 वर्षों से अपने संवर्धित तेल उगाही कार्यों में कार्बन-डाइऑक्साइड का उपयोग कर रही है.
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