भू-वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका में पृथ्वी के अन्दर माउंट एवरेस्ट से तीन से चार गुना ऊंची चोटियों का पता लगाया है, जिन्हे पृथ्वी के कोर के पास होने का दावा किया गया है.
शोधकर्ताओं ने 25 भूकंपों से उत्पन्न भूकंपीय तरंगों का गहन अध्ययन करने के बाद इस बात का दावा किया है. इस अध्ययन में भू-वैज्ञानिकों ने पाया कि ये तरंगें कोर-मेंटल बाउंड्री पर पहुंचने के बाद धीमी हो गईं थी.
कितना विशालकाय है यह पर्वत श्रृंखला:
शोधकर्ताओं ने अपने शोध के दौरान पाया कि यह पर्वत श्रृंखला काफी बड़ी हो सकती है साथ ही यह अत्यधिक परिवर्तनशील भी है. शोधकर्ताओं ने दावा किया कि कुछ चोटियाँ 40 किमी (24.8 मील) तक फैली हुई है जो एवरेस्ट की ऊंचाई के 4.5 गुना के बराबर है. अन्य चोटियाँ 3 किमी (1.7 मील) ऊंची है.
शोधकर्ताओं ने क्या किया दावा:
शोधकर्ताओं के अनुसार, ये पहाड़ निचले मेंटल का भाग है जो पृथ्वी के जो पृथ्वी के कोर के निकट होने के कारण अत्यधिक गर्म रहते है. हालांकि मेंटल a तापमान 3,700C (6,692F) तक पहुंच सकता है जबकि कोर 5,500C (9,932F) के स्तर तक पहुंच सकता है.
कैसी है इस पर्वत की संरचना:
शोधकर्ताओं द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ये पहाड़ प्राचीन समुद्री क्रस्ट के अवशेष हो सकते है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पृथ्वी की गहराई में बने पहाड़ों को सूक्ष्म रूप से भिन्न पदार्थों से लेकर आसपास के मेंटल तक बनाया जा सकता है.
पृथ्वी की गहराई में पाए जाने वाले पर्वत की संरचना रहस्यमयी होती है. ये विशाल बूँदों या लार्ज लो-शियर वेलोसिटी प्रोविन्सस (LVPs) वाली संरचना के होते है. अफ्रीका के नीचे "टूज़ो" नामक एक आकारहीन माउंटेन नॉट है. प्रशांत के नीचे "जेसन" नाम की भी एक ऐसी ही माउंटेन नॉट है जो अरबों वर्ष पुराने माने जाते है. इसके बारें में शोधकर्ताओं के पास अधिक जानकारी नहीं है.
डब किए गए अल्ट्रा-लो वेलोसिटी ज़ोन (ULVZ), के ये विशाल भूमिगत पर्वत श्रृंखलाएँ वैज्ञानिकों की नज़र में इसलिए नहीं आये क्योंकि भूकंप और परमाणु विस्फोटों ने उनके द्वारा देखे जाने वाले पर्याप्त भूकंपीय डेटा उत्पन्न नहीं कर पाए.
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा:
बीबीसी के अनुसार एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की एक टीम ने इन विशाल पहाड़ों को पृथ्वी के कोर के पास लगभग 2,900 किलोमीटर की गहराई में पाया. विशेषज्ञों ने अध्ययन करने के लिए अंटार्कटिका में भूकंप विज्ञान केंद्रों का उपयोग किया.
शोध से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि ये विशाल पहाड़ अभी तक विशेषज्ञों की शोध से दूर रहे जब तक परमाणु विस्फोटों और भूकंपों ने पर्याप्त भूकंपीय डेटा उत्पन्न नहीं किया.
इस नवीनतम खोज ने वैज्ञानिक के बीच एक बहस का मुद्दा उठा दिया है कि पृथ्वी के कोर से गर्मी कैसे निकलती है, इसमें भूमिगत पहाड़ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
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