स्कॉटलैंड की फर्स्ट मिनिस्टर निकोला स्टर्गन ने 13 मार्च 2017 संसद से स्कॉटलैंड की ब्रिटेन से स्वतंत्रता पर जनमत संग्रह कराने की मांग की. स्टार्गन 2018 के दूसरे और 2019 के पहले हिस्से में जनमत संग्रह कराने की मांग की है. निकोला स्टर्गन के अनुसार इसके लिए पहले ही देर हो चुकी है.
जनमत संग्रह के बाद स्कॉटलैंड ब्रेक्जिट विधेयक के बाद यूरोपीय संघ के साथ अपना रिश्ता बनाए रखने की इच्छा जाहिर कर सकेगा. यदि फर्स्ट मिनिस्टर निकोला स्टर्गन के प्रस्ताव को संसद की मंजूरी मिलती है तो स्कॉटलैंड की आजादी पर दूसरी बार जनमत संग्रह कराया जाएगा.
वर्ष 2014 में कराए गए जनमत संग्रह में स्कॉटलैंड की जनता ने ब्रिटेन का हिस्सा रहने का समर्थन किया था.
मुख्य तथ्य-
• हाउस ऑफ कॉमन्स से ब्रेक्जिट विधेयक के पास होते ही निकोला स्टर्गन ने स्कॉटलैंड के बारे में यह मांग की. ब्रेक्जिट विधेयक पास होने के बाद थैरेसा मे कुछ ही हफ्तों में अनुच्छेद 50 को लागू कर सकती है.
• निकोला स्टर्गन स्कॉटलैंड की इच्छा के अनुसार स्कॉटलैंड को शीघ्र यूरोपीय संघ से बाहर निकलना चाहती हैं.
• पिछले वर्ष जून में कराए गए जनमत संग्रह के अनुसार इंग्लैंड और वेल्स ने यूरोपीय संघ छोड़ने के पक्ष में मतदान किया.
• लेकिन स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड ने यूरोपीय संघ न छोड़ने के पक्ष में मतदान किया. उस समय कुल 55% मतदान हुआ.
• स्कॉटलैंड की स्वतंत्रता में जनमत संग्रह का अंतिम निर्णय वेस्टमिंस्टर में ब्रिटेन की संसद के अधीन है, जहां थेरेसा मे को बहुमत प्राप्त है.
यदि मंत्री निकोला स्टर्गन की मांग पर ब्रिटेन की संसद अनुमोदन देती है, तो यूरोपीय संघ छोड़ने और न छोड़ने के मामले में 2014 के बाद स्कॉटलैंड में दूसरा स्वतंत्रता जनमत संग्रह होगा. जो वोट के माध्यम से कराया जाएगा.
• वर्ष 2014 में स्कॉटिश नागरिकों ने यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा बने रहने हेतु मतदान किया.
• वर्ष 2014 में स्कॉटिश नागरिकों ने ने 55% के मुकाबले 45% से आज़ादी के वोट को खारिज कर दिया.
• वर्तमान में किए गए जनमत सर्वेक्षणों ने आजादी के समर्थन को लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है.
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