केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ ने शहरी विकास की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। शाहपुर कॉलोनी को ध्वस्त करने के बाद शहर को आधिकारिक रूप से स्लम-फ़्री घोषित कर दिया गया। यह कदम 12 वर्षों से चल रहे अभियान और मज़बूत शहरी प्रशासन का परिणाम है, जिसके तहत शहर की 520 एकड़ जमीन दोबारा हासिल की गई।
अंग्रेजी दैनिक द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर निशांत कुमार यादव ने पुष्टि की कि शाहपुर कॉलोनी से अवैध कब्ज़ा हटाए जाने के बाद अब चंडीगढ़ को आधिकारिक तौर पर स्लम-फ़्री सिटी घोषित किया गया है।
लंबा अभियान और ज़मीन की वापसी
करीब एक दशक पहले शुरू हुए अभियान के तहत प्रशासन ने क्रमिक रूप से कई अवैध बस्तियों को हटाया।
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2014 में सबसे बड़ी कल्याण कॉलोनी ध्वस्त कर 89 एकड़ जमीन वापस ली गई।
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इसी साल अंबेडकर कॉलोनी को भी हटाया गया और 65 एकड़ जमीन प्रशासन को मिली।
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2022 में कॉलोनी नंबर 4 के ध्वस्तीकरण से भी 65 एकड़ भूमि वापस पाई गई।
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शाहपुर के अलावा आदर्श कॉलोनी, सेक्टर-25 कॉलोनी और संजय कॉलोनी को भी खाली कराया गया।
चंडीगढ़ बना आधुनिक शहर
1950 के दशक में फ्रांसीसी वास्तुकार ले कोर्बुज़िए ने चंडीगढ़ को एक ऐसा आधुनिक शहर कल्पित किया था जो झुग्गियों और अव्यवस्थित विस्तार से मुक्त हो। लेकिन पलायन और तेज़ शहरीकरण से स्लम बसावट बढ़ती गई। शाहपुर कॉलोनी के ध्वस्तीकरण के साथ यह सपना अब वास्तविकता में बदल गया है।
पुनर्वास और सुविधाएँ
यह केवल उजाड़ना नहीं बल्कि संगठित पुनर्वास योजना का हिस्सा था।
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मलोया, मौली जागरण और धनास में वैकल्पिक आवास दिए गए।
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स्वच्छ पानी, बिजली, कचरा प्रबंधन और पक्की सड़कें सुनिश्चित की गईं।
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परिवारों के लिए कौशल विकास और रोज़गार सहयोग प्रदान किया गया।
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स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक भवन जैसी सामाजिक सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गईं।
नई शुरुआत की ओर कदम
शाहपुर कॉलोनी का हटना सिर्फ अंत नहीं बल्कि नई शुरुआत है। दशकों से फैली स्लम संस्कृति को समाप्त कर अब चंडीगढ़ सुनियोजित और सतत विकास की ओर बढ़ रहा है। भारत का पहला बड़ा स्लम-फ़्री शहर बनकर चंडीगढ़ ने न केवल ले कोर्बुज़िए की दृष्टि को सम्मान दिया है बल्कि अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा का मॉडल पेश किया है।
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