भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इंडिविजुअल म्यूचुअल फंड के लिए विदेशी निवेश की सीमा को 300 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 600 मिलियन डॉलर कर दिया है.
सेबी ने 5 नवंबर, 2020 को जारी एक परिपत्र में इसकी घोषणा की, जिसमें यह कहा गया था कि, प्रत्येक फंड हाउस 7 अरब डॉलर की समग्र उद्योग सीमा के भीतर विदेशी निवेश में अधिकतम 600 मिलियन डॉलर का लाभ कमा सकता है.
PPFAS म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (CIO), राजीव ठक्कर ने यह कहा कि, अगर यह निवेश सीमा नहीं बढ़ाई गई होती, तो आने वाले दिनों में कुछ बड़े फंड ऊपरी सीमा तक पहुंच सकते थे.
मुख्य विशेषताएं
• भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं कि, कैसे योजनाओं को नई सीमाओं का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी.
• मौजूदा योजनाओं के मामले में, विदेशी निवेश (ETF या इक्विटी) में रखी गई पिछले तीन महीनों की औसत संपत्ति की 20 प्रतिशत सीमा के अधीन यह अनुमति दी जाएगी.
• नए फंड ऑफर (एनएफओ) पर, किसी भी योजना के लिए एनएफओ के बंद होने से छह महीने के भीतर उपलब्ध सीमा का उपयोग करना आवश्यक होगा अन्यथा यह सीमा अप्रयुक्त उद्योग-व्यापी सीमाओं के लिए उपलब्ध हो जाएगी.
• इसके अलावा, सेबी ने प्रत्येक फंड हाउस के लिए 50 मिलियन डॉलर भी आरक्षित किए हैं, चाहे संबद्ध फंड हाउस के पास अंतर्राष्ट्रीय योजना की पेशकश हो या नहीं.
• ये म्यूचुअल फंड की निवेश सीमाएं 12 साल पहले बदली गई थीं, जब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उद्योग की समग्र सीमा को 5 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 7 बिलियन डॉलर कर दिया था.
महत्व
म्यूचुअल फंड हाउसेस द्वारा प्रस्तावित नई योजनाओं की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, जो निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय इक्विटी के लिए पर्याप्त निवेश देती है और निवेशकों ने ऐसे फंडों में अपनी रुचि भी दिखाई है, क्योंकि ये निवेश उनके पोर्टफोलियो को भौगोलिक विविधीकरण भी देते हैं.
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