अमेरिका पेरिस जलवायु समझौते से अलग होने के 107 दिनों के बाद एक बार फिर से आधिकारिक तौर पर इसमें शामिल हो गया है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने इसे दुनिया के लिए 'आशा का दिन' बताया है.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि चार सालों तक एक प्रमुख सदस्य की अनुपस्थिति ने इस ऐतिहासिक समझौते को कमजोर कर दिया था. उन्होंने कहा कि आज उम्मीद का दिन है, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका आधिकारिक रूप से पेरिस समझौते में शामिल हो चुका है.
पेरिस जलवायु समझौता
यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के अंतर्गत एक समझौता है. इस समझौते पर साल 2016 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह जलवायु परिवर्तन शमन, अनुकूलन और वित्त से संबंधित है. पेरिस समझौता एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय समझौता है जिसे जलवायु परिवर्तन और उसके नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिये साल 2015 में दुनिया के लगभग प्रत्येक देश द्वारा अपनाया गया था.
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी हद तक कम करना है, ताकि इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस कम रखा जा सके. यह समझौता विकसित राष्ट्रों को उनके जलवायु से निपटने के प्रयासों में विकासशील राष्ट्रों की सहायता हेतु एक मार्ग प्रदान करता है
पृष्ठभूमि
अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति जो बाइडन ने पदभार संभालते ही डोनाल्ड ट्रप के फैसलों को पलटते हुए 15 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें से एक पेरिस समझौते में दोबारा शामिल होना भी था.
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल नवंबर में अमेरिका को औपचारिक रूप से पेरिस जलवायु समझौते से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने इस फैसले की घोषणा तीन साल पहले ही कर दी थी. ट्रंप ने समझौते को अमेरिका के लिए बिना फायदे वाला और चीन, रूस तथा भारत जैसे देशों को लाभ पहुंचाने वाला बताया था.
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