जानें अनुच्छेद 131 क्या है, जिसके तहत CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची केरल सरकार

Jan 16, 2020, 11:29 IST

नागरिकता (संशोधन) बिल में छह गैर-मुस्लिम समुदायों- हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म से संबंधित अल्पसंख्यक शामिल हैं. केरल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. 

supreme court
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केरल सरकार ने 14 जनवरी 2020 को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. यह याचिका भारत के संविधान के अनुच्छेद 131 के अंतर्गत दायर किया गया है. केरल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने वाला पहला राज्य बन गया है.

नागरिकता (संशोधन) बिल में छह गैर-मुस्लिम समुदायों- हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म से संबंधित अल्पसंख्यक शामिल हैं. इस विधेयक के अंतर्गत 31 दिसंबर 2014 तक धर्म के आधार पर प्रताड़ना के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यक के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

केरल सरकार ने क्या कहा?

केरल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सरकार ने कोर्ट से नागरिकता कानून को मूल अधिकारों का उल्लंघन करने वाला घोषित करने की मांग की है.

केरल सरकार ने कहा है कि नया कानून संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है. इसमें समानता का अधिकार शामिल है. सरकार ने कहा कि यह कानून संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांतों के विरुद्ध है.

केरल सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाना चाहिए.

केरल सरकार ने कहा कि अगर यह नया कानून अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में  धार्मिक तौर पर उत्पीड़न झेल रहे लोगों हेतु है तो फिर इन देशों के शिया और अहमदिया को क्यों अलग रखा गया है.

केरल सरकार ने अपनी याचिका में श्रीलंका के तमिल, नेपाल के मधेसी और अफगानिस्तान के हजारा समूह का भी जिक्र किया है.

अनुच्छेद 131 क्या है?

संविधान का अनुच्छेद 131 सुप्रीम कोर्ट को ये अधिकार देता है कि वो राज्य बनाम राज्य या फिर राज्य बनाम केंद्र के मामलों की सुनवाई करे तथा उस पर फैसला दे. अनुच्छेद 131 के अंतर्गत राज्य और केंद्र में यदि किसी बात को लेकर विवाद हो तो उस स्थिति में राज्य सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है.

केंद्र के कानून के विरुद्ध अनुच्छेद 131 के उपयोग का पांचवा मामला

नागरिकता (संशोधन) कानून को ऐसा पांचवा मामला बताया जा रहा है, जिसमें केरल की सरकार ने आर्टिकल 131 के उपयोग के जरिए विवाद के निपटारे की अपील की है. इस अनुच्छेद के इस्तेमाल का पहला मामला साल 1963 में सामने आया था. इसमें बंगाल की सरकार ने केंद्र के बनाए एक कानून का विरोध किया था. पश्चिम बंगाल की सरकार ने कोयला पाए जाने वाले इलाकों के लिए बनाए गए केंद्र सरकार के कोल बियरिंग एरियाज़ अधिनियम 1957 के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

अनुच्छेद 131 के दायरे में किस तरह के विवाद आते है?

अनुच्छेद 131 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट इसके जरिए उन्हीं मसलों पर फैसला दे सकती हैं, जहां केंद्र तथा राज्यों के अधिकारक्षेत्र का मसला सामने आता है. सरकारों के बीच आपसी झगड़े तथा छोटे-मोटे विवाद का इस अनुच्छेद से कोई लेना-देना नहीं है.

यह भी पढ़ें:नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) और एनआरसी में क्या अंतर है?

पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध पहले ही 60 याचिकाएं दायर हैं और इस मामले की सुनवाई 22 जनवरी को होनी है. यह संशोधन नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा. इस संशोधन के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी. नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) संसद में पास होने और राष्ट्रपति की महुर लगने के बाद नागरिक संशोधन कानून (CAA) बन गया है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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