दहेज उत्पीड़न से परेशान महिलाएं कहीं भी दर्ज करा सकती हैं एफआईआर: सुप्रीम कोर्ट

Apr 10, 2019, 17:24 IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रूरता के कारण ससुराल से बाहर कर दी गयी महिला आरोपियों के खिलाफ उस स्थान पर भी मामला दर्ज करा सकती है, जहां वह शरण लेने के लिए मजबूर है.

Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट ने 09 अप्रैल 2019 को एक महत्वपूर्ण व्यवस्था देते हुए कहा कि ससुराल में उत्पीड़न की शिकार महिला मायके से या जहां वह शरण लिये हुए है वहां से भी मुकदमा दायर करा सकती है.

यह व्यवस्था मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने विभिन्न राज्यों से दायर छह याचिकाओं का निपटारा करते हुए दी.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश के मुख्य बिंदु:

•   सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रूरता के कारण ससुराल से बाहर कर दी गयी महिला आरोपियों के खिलाफ उस स्थान पर भी मामला दर्ज करा सकती है, जहां वह शरण लेने के लिए मजबूर है.

•   कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि महिला को उस इलाके में शिकायत दर्ज कराने की आवश्यकता नहीं है जहां उसकी ससुराल है.

•   सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ित महिला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498 ए के तहत अपने आश्रय स्थल या मायके में आपराधिक मुकदमा दर्ज करा सकती है. दरअसल, अभी तक महिला को उसी जगह मुकदमा दायर कराना पड़ता था, जहां उसकी सुसराल है.

•   कोर्ट ने धारा 498ए की व्याख्या करते हुए कहा कि इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों प्रताड़नाएं शामिल मानी जाएंगी.

•   कोर्ट ने कहा कि 498ए में दी गई क्रूरता की परिभाषा के मद्देनजर ससुराल द्वारा सताई गई महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

उत्तर प्रदेश के रूपाली देवी नाम की एक महिला ने अपने मायके आ कर अपने पति के खिलाफ मानसिक और शारीरिक यातना देने का मुकदमा दर्ज कराया था. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसे यह कह कर खारिज के दिया कि कानून के मुताबिक ये मामला मायके में दर्ज हो ही नहीं सकता. रूपाली को ये मुक़दमा अपने ससुराल में दाखिल करना चाहिए था क्योंकि उसे यातना ससुराल में मिली है. सीआरपीसी की सेक्शन 177 के मुताबिक कोई भी अपराधिक मामला उसी जगह दर्ज ही सकता है जहां वह घटना घटी है.

रूपाली देवी ने सुप्रीम कोर्ट में उस आदेश को चुनौती दी और कहा कि वह ससुराल जा कर मुकदमा नहीं लड़ सकती. वहां उसके ससुराल वालों का पहुँच है और वह शहर उसके लिए अजनबी है. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने रूपाली के तर्क को सही माना और उसे कहीं भी शिकायत दर्ज करने का अधिकार दिया जहां वह अपने ससुराल से भाग कर रह रही है. ये आदेश सभी महिलाओं पर लागू होगा.

दरअसल न्यायालय इस मुद्दे पर एक संदर्भ पर विचार कर रहा था कि क्या आईपीसी की धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न की सजा पर क्रूरता का मामला उस जगह दर्ज किया जा सकता है, जो जांच और आरोपी को सजा का अधिकार क्षेत्र वाले जगह से अलग हो.

फैसले का असर:

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन बहुत सी महिलाओं को राहत मिलेगी जो सताए जाने के कारण ससुराल छोड़कर मायके आ जाती हैं. पीड़ित महिलाएं जिनका मायका ससुराल से दूर किसी और राज्य में स्थित है तो वे अपने मायके में ससुराल वालों के खिलाफ प्रताड़ना का आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं करा पाती थीं. लेकिन अब पीड़ित महिलाएं सताए जाने के कारण ससुराल छोड़कर मायके या किसी और जगह शरण लेने वाली महिला जहां शरण लेगी वहीं ससुराल वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकती है.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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