रूस ने अकुला द्वितीय श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी नेरपा भारत को 31 दिसंबर 2011 को सौंप दी. यह पनडुब्बी भारत को वर्ष 2021 तक लीज पर दिया गया गया है. इस पनडुब्बी को भरता को सौंपने से संबंधित हस्ताक्षर प्रिमोरए क्षेत्र में स्थित बोलशोई कामन जहाज निर्माण केंद्र में 29 दिसंबर 2011 को किए गए. इस पनडुब्बी का दाम 92 करोड़ डॉलर है. एक भारतीय चालक दल द्वारा इस पनडुब्बी को जनवरी के अंत तक स्वदेश लाया जाना है.
महीनों तक पानी के अंदर रहने में सक्षम भारत में इस पनडुब्बी का नाम आईएनएस चक्र रखा गया है. रूस की ओर से नेरपा सौंपे जाने के साथ ही भारत दुनिया में परमाणु पनडुब्बियों का छठा संचालक हो गया. नेरपा में 28 परमाणु क्रूज मिसाइलें लगी हैं और उसकी मारक क्षमता 3000 किमी तक है. भारतीय संस्करण में 300 किमी क्लब की परमाणु सक्षम मिसाइल लगी होने का निर्णय लिया गया है.
दिसंबर 2011 के प्रारंभ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की रूस यात्रा के दौरान नेरपा सौदा का मुद्दा उठा था. नेरपा वर्ष 2008 में ही भारत को सौंपी जानी थी, लेकिन 8 नवंबर 2008 को समुद्री परीक्षण के दौरान हादसा हो जाने के बाद रूस प्रशासन ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था. परीक्षण के दौरान अग्निशामक गैस के रिसाव होने से 20 लोगों की मौत हो गई जिनमें ज्यादातर नागरिक थे.
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