अफगानिस्तान में संयुक्त राज्य अमेरिका (अमेरिका) और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का 8 दिसंबर 2014 को लड़ाकू मिशन समाप्त हो गया. यह मिशन अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में आयोजित नाटो के अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल (आईएसएएफ) के संयुक्त कमान के एक समारोह में झंडे को झुकाने के साथ समाप्त हो गया.
यह मिशन वर्ष 2001 में अमेरिका में 9/11 के आतंकवादी हमले के बाद अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार का तख्ता पलट करने के लिए शुरु किया गया था. आज के बाद, नाटो और अमेरिकी सेना अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण देने में साहयता करेगी जिसने 2013 के मध्य से तालिबान विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया. 1 जनवरी 2015 से, अफगानिस्तान में गठबंधन सेना को वर्ष 2011 में एक लाख चालीस हज़ार की तुलना में 13000 सैनिकों को रखना होगा. वर्तमान में अफगानिस्तान में 15000 सैनिक मौजूद हैं.
दूसरी ओर, दिसंबर 2015 के अंत तक, अमेरिकी सैनिकों की कुल संख्या में 5500 सैनिकों की कमी की जाएगी और वर्ष 2016 के अंत तक सभी सैनिको को अफगानिस्तान से हटा लिया जाएगा.
अफगानिस्तान में नाटो और अमेरिकी सेना के कमांडर - जनरल जॉन एफ कैंपबेल
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