कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में अल्जाइमर के तीन में से एक केस को रोका जा सकता है. इस रिपोर्ट का शीर्षक है– पोटेंशियल फॉर प्राइमरी प्रिवेंशन ऑफ अल्जाइमर्स डीजिज: एन अनालिसिस ऑफ पॉपुलेशन – बेस्ड डाटा
यह शोध इस वर्ष अगस्त में लान्सेट न्यूरोलॉजी जरनल में प्रकाशित किया जाएगा.
शोध कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के कैंब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर कैरोलीन ब्रायेनी के नेतृत्व में किया गया.
इस शोध को फंड नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च कोलैबोरेशन फॉर लीडरशिप इन अपलायड हेल्थ रिसर्च एंड केयर फॉर कैंब्रिजशायर और पीटरबरो ने दिया.
शोध की मुख्य बातें–
- व्यायाम की कमी, धूम्रपान, अवसाद और कम शिक्षा इस बीमारी की मुख्य कारक हैं हालांकि उम्र अभी भी सबसे बड़ा कारक बना हुआ है.
- विश्व में उच्च अनुमानित पॉपुलेशन– एट्रीबुटेबल रिस्क (पीएआर) की वजह शिक्षा थी.
- सात जोखिम कारकों के साथ संयुक्त पीएआर 49.4 फीसदी था जो दुनिया के 33.9 मिलियन मामलों में से 16.8 मिलियन एट्रीब्यूटेबर मामलों को बताता है.
- शोध में जोखिम के सात कारक इस प्रकार बताए गए हैं– शारीरिक निष्क्रियता, अवसाद, धूम्रपान, कम शिक्षा, मधुमेह, मध्य– जीवन में उच्च रक्तचाप और मध्य– जीवन मोटापा.
- ये सात कारक दुनिया भर में मौजूद अल्जाइमर के तीस प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.
- प्रभावित लोगों की संख्या में इन कारकों को कम कर घटाया जा सकता है.
- प्रत्येक कारक को यदि दस फीसदी घटा दिया जाए तो वर्ष 2050 तक अल्जाइमर के मरीजों की संख्या नौ करोड़ या 8.3 फीसदी रह जाएगी.
- इसमें यह भी कहा गया है कि वर्ष 2050 तक दुनिया में 106 मिलियन से भी ज्यादा लोग अल्जाइमर के शिकार हो जाएंगे. अनुमानित संख्या वर्ष 2010 की अनुमानित संख्या (34 मिलियन) की तुलना में तीन गुना है.
- अमेरिका, यूके और यूरोप के बाकी हिस्सों में अल्जाइमर के मामलों की सबसे बड़ी वजह शारीरिक निष्क्रियता है.

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