अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर, आईयूसीएन) ने 30 जनवरी 2014 को घोषणा की कि वह संरक्षण-मार्गदर्शन और नीतिगत निर्णयों में संकटग्रस्त प्रजातियों की आईयूसीएन रेड लिस्ट के 50 वर्ष मना रही है. आईयूसीएन की रेड लिस्ट जानवरों, पादप-प्रजातियों और आजीविकाओं से जुड़ी फफूंदों के संबंध में सबसे व्यापक सूचना-स्रोत है.
आईयूसीएन रेड लिस्ट हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी प्राकृतिक स्रोतों की सुरक्षा के लिए आवश्यक चीजों के संबंध में जैवविविधता-संरक्षण और नीतिगत बदलाव के विषय में कार्रवाई सूचित और उत्प्रेरित करने के एक सशक्त उपकरण के रूप में कार्य करती है. यह प्रजातियों की रेंज और प्राकृतिक आवास की जरूरतों के आधार पर उनकी आबादी के आकार और प्रवृत्तियों के संबंध में भी सूचना प्रदान करती है.
आईयूसीएन की रेड लिस्ट द्वारा प्रजातियों को बचाने के लिए की जाने वाली सहायता की प्रक्रिया
• संरक्षण-योजना: यह प्रजाति-आधारित संरक्षण-कार्यों से संबंधित सूचना प्रदान करती है. यह वैश्विक रूप से महत्त्वपूर्ण संरक्षण-स्थलों की पहचान करने में भी मदद करती है, जिनमें महत्त्वपूर्ण पादप-क्षेत्र, महत्त्वपूर्ण पक्षी-क्षेत्र, मुख्य जैवविविधता-क्षेत्र और शून्य विनाश-स्थलों के लिए गठजोड़ शामिल हैं.
• निर्णय लेना: यह सरकारी प्रभाव-मूल्यांकनों से लेकर अंतरराष्ट्रीय बहुपक्षीय पर्यावरण-समझौतों तक बहुसंख्यक पैमानों पर संरक्षण के निर्णयों को प्रभावित करके मदद करती है.
• निगरानी: जैवविविधता संबंधी लक्ष्यों की प्राप्ति की प्रगति जानने के लिए प्रजातियों की वर्तमान स्थिति सूचित करना और समय बीतने के साथ-साथ उनके विनाश का जोखिम प्रकट करना.
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature )
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ विश्व का सबसे पुराना और बड़ा वैश्विक पर्यावरण-संगठन है. इसकी स्थापना 1948 में हुई थी. वर्तमान में यह सबसे बड़ा पेशेवर वैश्विक संरक्षण-नेटवर्क है. इसकी वित्त व्यवस्था सरकारों, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियों, सदस्य संगठनों, निगमों और फाउंडेशनों द्वारा की जाती है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में इसे आधिकारिक प्रेक्षक (ऑफिसियल आब्जर्वर) का दर्जा प्राप्त है.
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की संकल्पना सबसे पहले 1964 में की गई थी, जब इसने प्रजातियों के सूचीकरण और संरक्षण संबंधी प्रयासों के लिए मानक तय किए थे.
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