आरबीआई ने ब्याज दर विकल्प सम्बन्धी पी जी आप्टे कार्यदल रिपोर्ट जारी की

Feb 11, 2016, 08:48 IST

वित्तीय बाजारों पर तकनीकी परामर्शदात्री समिति (टीएसी) ने 21 अप्रैल 2015 को आयोजित अपनी बैठक में प्रो. पी जी आप्टे की अध्यक्षता में एक कार्यदल का गठन किया था.

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 8 फरवरी 2016 को भारत में ब्याज दर विकल्प सम्बन्धी पी जी आप्टे कार्यदल रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट आरबीआई समिति द्वारा तैयार की गयी जिसकी अध्यक्षता पी जी आप्टे ने की.


पी जी आप्टे समिति की सिफारिशें


•    आरंभ में, साधारण कॉल और पुट आप्शन, कैप्स, फ्लोर, कॉलर्स और स्वैप की अनुमति दी जा सकती है. इसके बाद मिश्रित संरचनाओं को शुरू किया जा सकता है.
•    ओटीसी और शेयर बाजार ट्रेडेड आप्शन्स शुरू किए जा सकते हैं जबकि ओटीसी खंड में केवल यूरोपीयन आप्शन्स की अनुमति दी जा सकती है, शेयर बाजारों में अमेरिकन और यूरोपीयन दोनों संरचनाओं की अनुमति दी जा सकती है.
•    भारतीय नियत आय मुद्रा बाजार और व्युत्पन्न संघ (फिम्डा)/फाइनैंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) जी-सेक, मिबोर, ओआईएस, मिफोर, आईआरएफ आदि की तरह बेंचमार्क के रूप में पात्र घरेलू मुद्रा अथवा ऋण बाजार दरों की सूची के साथ आ सकते हैं.
•    बैंकों, प्राथमिक व्यापारियों और अच्छी वित्तीय और विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंध वाली अन्य विनियमित संस्थाओं को संबंधित विनियामक के अनुमोदन से बाजार मेकर के रूप में अनुमति दी जा सकती है, अंतर्निहित ब्याज दर जोखिम वाली सभी घरेलू संस्थाओं को उपयोगकर्ताओं के रूप में अनुमति दी जा सकती है.
•    अंतर्निहित एक्सपोज़र के संबंध में 5 करोड़ रुपये तक के एक्सपोज़र के लिए प्रलेखन की जरूरत नहीं है, बड़े कार्पोरेटों को उनके प्रत्याशित ब्याज दर एक्सपोज़र के लिए हेजिंग पोजिशन की भी अनुमति दी जा सकती है.

इस कार्यदल की सिफारिशों पर 26 फरवरी 2016 तक ई-मेल पर सुझाव भेजे जा सकते हैं. अंतिम दिशा-निर्देशों को प्राप्त प्रतिसूचनाओं को ध्यान में रखते हुए मार्च 2016 के अंत तक जारी किया जाएगा.

पृष्ठभूमि

वित्तीय बाजारों पर तकनीकी परामर्शदात्री समिति (टीएसी) ने 21 अप्रैल 2015 को आयोजित अपनी बैठक में प्रो. पी जी आप्टे की अध्यक्षता में एक कार्यदल का गठन किया था. इस कार्यदल का कार्य उन सभी संगत मुद्दों की जांच करना और भारत में ब्याज दर आप्शन्स शुरू करने संबंधी ढांचे पर सिफारिश देना था.

वर्तमान में भारत में अनुमत ब्याज दर डेरिवेटिवों में ओटीसी खंड में ब्याज दर स्वैप (आईआरएस) और फारवर्ड दर करार (एफआरए) हैं तथा शेयरों बाजारों में ब्याज दर फ्यूचर्स (आईआरएफ) हैं. इस समयावधि के दौरान आईआरएस बाजार में विकास हुआ है और इसमें पर्याप्त चलनिधि है.

विभिन्न श्रेणियों के प्रतिभागियों की व्यापक सहभागिता से आईआरएफ बाजार में कारोबार धीरे-धीरे बढ़ गया है. अपनी बहियों में बाजार जोखिम के प्रबंधन के लिए बैंकों और अन्य बाजार सहभागियों द्वारा इन ब्याज दर डेरिवेटिवों का उपयोग किया जा सकता है. तथापि  बैंकों सहित वित्तीय संस्थाओं के पास तुलन-पत्रों में सन्निहित आप्शन्स के प्रबंधन के लिए कोई लिखत नहीं है.

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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