बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा: IRDA: Insurance Regularity and Development Authority) ने स्वास्थ्य बीमा पोर्टेबिलिटी पर दिशा-निर्देश 10 फरवरी 2011 को लागू कर दिया. स्वास्थ्य बीमा पोर्टेबिलिटी (Health Insurance Portability) 1 जुलाई 2011 से सभी पुराने व नए स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर लागू किया जाना है. नए दिशा-निर्देशों के बाद अगर उपभोक्ता किसी कंपनी की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी से संतुष्ट नहीं है तो उसके फायदे को बनाए रखते हुए दूसरी कंपनी का स्वास्थ्य बीमा ले सकने के लिए स्वतंत्र है.
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अनुसार सभी तरह की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों को पोर्टेबिलिटी के तहत लाया गया है. हालांकि उपभोक्ताओं को इस सेवा का लाभ उठाने के लिए यह शर्त लगाई गई कि उन्हें एक कंपनी की बीमा पॉलिसी की अवधि खत्म होने से पहले ही दूसरी की बीमा पॉलिसी के लिए आवेदन करना अनिवार्य है. जबकि दोनों बीमा कंपनियों को आवश्यक व संबंधित काम के लिए इरडा ने 10 दिनों के समय का प्रावधान रखा है.
ज्ञातव्य हो कि पूरे भारत में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की शुरुआत 20 जनवरी 2011 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई थी. केंद्र सरकार द्वारा ऐसी सेवाओं (स्वास्थ्य बीमा पोर्टेबिलिटी और मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी) को उपभोक्ता सशक्तिकरण के तौर पर देखा जा सकता है.
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