उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में डाक्टरों के लिए अनिवार्य रूप से चार वर्ष की सेवा गांवों (सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) में करने का निर्णय लिया. उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा नियमावली 2004 में संशोधन करते हुए 22 नवंबर 2010 को यह फैसला लिया गया.
संशोधित नियमावली के तहत अब चिकित्सकों को नियुक्ति के बाद अनिवार्य रूप में चार साल गांवों में बिताना है. बगैर इस अवधि को पूरा किए उनकी प्रोन्नति नहीं की जाएगी. यह फैसला लोक सेवा आयोग द्वारा 1 दिसंबर 2010 या उसके पश्चात चयनित चिकित्सा पदाधिकारियों पर लागू होगी. उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा नियमावली 2004 (संशोधित) के तहत चिकित्सा पदाधिकारी यदि किसी पिछड़े ब्लाक में 2 वर्ष की अवधि के लिए तैनात है तो यह अवधि प्रोन्नति के लिए पर्याप्त होगी, की भी व्यवस्था है.
प्रोन्नति की अन्य शर्तें यथावत रखी गई. उत्तर प्रदेश सरकार के इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों की किल्लत कम होने के आसार हैं.
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