सर्वोच्च न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण पर एक महत्वपूर्ण निर्णय में 25 अगस्त 2011 को बताया कि किसानों की जमीन का भूमि अधिग्रहण बाजार मूल्य के आधार पर किया जाना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय ने इस निर्णय के पीछे तर्क दिया कि अनिवार्य रूप से ली जा रही जमीन के बदले में भूस्वामी अधिकतम मूल्य के हकदार हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने पंजाब के कुछ भू स्वामियों की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह व्यवस्था दी. पीठ ने अपने निर्णय में पंजाब सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन का आधार मूल्य 2.75 लाख प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 4.09 लाख प्रति हेक्टेयर भी कर दिया.
ज्ञातव्य हो कि अंबाला चंडीगढ़ राजमार्ग पर एक औद्योगिक संयंत्र स्थापित करने के लिए पंजाब सरकार ने किसानों की जमीनें ली थीं और उन्हें बाजार मूल्य के बजाय सरकारी दर पर भुगतान किया था. इसी के विरोध में कुछ भू स्वामियों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.
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