केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक, 2013 का मसौदा तैयार किया, ताकि सभी राष्ट्रीय खेल संघों और बीसीसीआई को सूचना अधिकार कानून के तहत लाया जा सके. सरकार ने विधेयक के मसौदे पर आम लोगों और सभी सम्बद्ध पक्षों की राय भी मांगी.
युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय ने न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक की संशोधित रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कार्यकारी समूह का गठन किया था. कार्यकारी समूह में कई गणमान्य खिलाड़ी जैसे अभिनव बिंद्रा तथा वीरेन रसकिन्हा, खेल प्रशासक तथा कानूनी विशेषज्ञ शामिल थे. इस कार्यकारी समूह द्वारा तैयार की गई संशोधित रूपरेखा न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल द्वारा 10 जुलाई 2013 को युवा मामलों एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को प्रदान की गई थी.
राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक 2013 के मुख्य बिंदु
1. ओलंपिक चार्टर के अनुसार कार्य करने, अंतरराष्ट्रीय बहु खेल महोत्सवों हेतु बोली का उत्तरदायित्व, शिकायतों को सुनने की आंतरिक व्यवस्था, नियमित रूप से राष्ट्रीय खेलों को आयोजित कराना, आरटीआई के तहत खिलाड़ी आयोग की स्थापना तथा संसद को रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी जैसे कार्य राष्ट्रीय ओलंपिक समिति को सौंपे गए.
2. राष्ट्रीय खेल संघों की दोहरी कार्यप्रणाली प्रस्तावित की गई.
3. एक नैतिक आयोग की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया, जिसके द्वारा अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के नियमों एवं सिद्धांतों के अनुसार (जो कि भारत के संविधान के भी अनुरूप हों) नैतिक नियमों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जाना है.
4. खेल चयन आयोग का गठन, जिससे राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय खेल संघ तथा खिलाड़ी आयोगों के साफ-सुथरे चुनावों को सुनिश्चित किया जाना है.
5. एक खेल अपील प्राधिकरण की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा गया, जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश अथवा उनके द्वारा नामांकित न्यायमूर्ति, सचिव, खेल विभाग तथा अध्यक्ष, राष्ट्रीय ओलंपिक समिति शामिल होने हैं.
6. अंतरराष्ट्रीय खेल समारोहों में भारत का प्रतिनिधित्व करने तथा किसी संघ द्वारा ''भारत'' या ''भारतीय'' का इस्तेमाल करने के लिए संघ को अध्याय-4 (खेलों में अनैतिक आचरण) तथा अध्याय-9 (सूचना का अधिकार अधिनियम) के मानकों पर खरा उतरना होगा.
7. वे सभी खेल संघ जिन्हें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अनुदान की आवश्यकता होती है, उन्हें सरकार से आधिकारिक मान्यता प्राप्त करनी होगी.
8. सभी आधिकारिक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल संघों द्वारा अपने सहयोग ज्ञापन/सहयोग नियम अथवा उप नियमों में निम्नलिखित प्रावधान किए जाने हैं:
• पदधारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 70 वर्ष.
• खिलाड़ी आयोगों द्वारा नामांकित खिलाड़ियों को संघ की कार्यकारी निकाय की निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाना है.
• संघ के कार्यकारी निकाय में खिलाड़ियों की कुल संख्या कुल मताधिकार के 25 प्रतिशत से कम नहीं होनी है.
• सुनिश्चित करना होगा कि सामान्य निकाय में दोनों लिंगों का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम नहीं.
• जिस व्यक्ति के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता (भाग 228) के तहत आपराधिक आरोप लगे हों, वह एनओसी/एनएसएफ के चुनाव नहीं लड़ सकता.
• कोई व्यक्ति जिसने एनएसएफ/एनओसी के कार्यकारी निकाय में पदधारी के रूप में लगातार दो वर्ष तक सेवा दी हो वह चुनाव के लिए खड़ा हो सकता है.
• अध्यक्ष 12 वर्ष के लिए पद पर बने रह सकता है.
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